किसान अब लीची सीधे विदेश भेज सकेंगे। इसके लिए जिले के चार प्रखंडों में छह शीत गृह और छह पैक हाउस बनाए गए हैं। छह लीची उत्पादक संघों को किसानों से समन्वय की जिम्मेदारी मिली है।

प्रत्येक दिन दस टन तक लीची की पैकेजिंग कर निर्यात किया जाएगा। बिहार लीची एसोसिएशन, भारतीय आयात निर्यात बैंक एवं बिहार बागवानी मिशन को इसके लिए अलग-अलग जिम्मेदारी मिली है। 19 मई को शीत गृह व पैक हाउस का वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव उद्धाटन करेंगे।

लीची सुरक्षित रखने के लिए चार प्रखंडों के छह फॉर्म हाउस में शीत गृह व पैक हाउस बनाए गए हैं। इनमें बंदरा के बड़गांव, मुशहरी के मनिका व पुनास, औराई के सरहचियां व आनंदपुर और मीनापुर का गंज बाजार शामिल है।

फार्म को उपलब्ध कराई गई जरूरी सामग्री

आयात निर्यात बैंक की ओर से सभी फार्म को एक ट्रैक्टर, दो पावर स्प्रेयर, पांच टन क्षमता सोलर चालित शीत गृह और बिहार बागवानी मिशन से बोरिंग समेत पैक हाउस से 50 फीसदी अनुदान मिला है। पैक हाउस 30 गुणा 20 फीट का है, जहां प्रत्येक दिन 10 टन तक लीची की पैकेजिंग हो सकेगी। बंदरा बरगांव के फॉर्म हाउस संचालक किसान केशव नंदन ने बताया कि उनके यहां जिले में सबसे बड़ा 15 एकड़ में फॉर्म स्थापित किया गया है। 19 मई को केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव इसका उद्घाटन करेंगे।

फार्म बिहार लीची एसोसिएशन की देखरेख में चलेगा। पहले शहर की एक प्रोसेसिंग यूनिट के संचालक के पास ऐसी सुविधा थी। अब जिले के किसानों को भी यह सुविधा मिलेगी। किसान दिलचस्पी दिखाएंगे तो सभी प्रखंडों में फॉर्म स्थापित किया जाएगा। पैकेजिंग कर लीची निर्यात से किसानों को उचित कीमत मिल सकेगी।

किसान इस प्रोजेक्ट को आसानी से हासिल कर सकते हैं। यह प्रोजेक्ट बिहार बागवानी मिशन के तहत चार लाख के बजट का है। इसपर सरकार से 50 फीसदी अनुदान है। फिलहाल चार प्रखंडों में छह फॉर्म स्थापित किए गए हैं। आने वाले दिनों में इसकी संख्या और बढ़ेगी, ताकि लीची किसानों को फायदा हो।

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