सीडीएस (कंबाइंड डिफेंस सर्विस) और बनारस में वायुसेना की परीक्षा में सफलता का सफर आसान नहीं रहा। इसके पीछे असफलताओं का लंबा और कड़वा अनुभव झेलना पड़ा है। बार-बार की असफलताओं ने सफलता के लिए लगातार प्रयास करने की प्रेरणा दी। मैं किसी न किसी कारणवश एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) की परीक्षा में पांच बार असफल रहा। सेना में जाने की ललक थी, इसलिए हिम्मत भी नहीं हारा। संयोग ऐसा रहा कि पिछले साल सीडीएस में इंटरव्यू में पिछड़ गया। लेकिन इन असफलताओं ने कदम डिगने की जगह मजबूती से टिकने की जिद पैदा कर दी।

पिछली बार की असफलता ने ज्यादा काम किया। दरअसल पिछले वर्ष मुझे सीडीएस की लिखित परीक्षा में सर्वाधिक 176 अंक मिले थे, जाे टाॅपर के (168 अंक) से ज्यादा थे। लेकिन मैं इंटरव्यू में पिछड़ गया और मुझे बाहर जाना पड़ा। इसलिए इस बार यह साेचकर परीक्षा की तैयारी में जुटा कि लिखित ताे निकल ही जाएगा, इंटरव्यू पर और ज्यादा फाेकस करना है। यही किया और रिजल्ट सबके सामने है। इस बार अप्रैल में सीडीएस की परीक्षा हुई थी। सितंबर में इंटरव्यू हुआ। देश में 14वां स्थान प्राप्त किया।

बनारस में पायलट का टेस्ट पास किया, मिला तीसरा स्थान

वायुसेना ने एक अक्टूबर को पायलट का टेस्ट बनारस में लिया और दाे अक्टूबर को मेडिकल टेस्ट हुअा। इसमें पास होने के बाद मुझे देश में तीसरा स्थान मिला है। मैं मूल रूप से रंगरा प्रखंड के मदरौनी का निवासी हूं। 10वीं की पढ़ाई डीएवी स्कूल बरारी से 92.2 सीजीपीए और 12वीं की परीक्षा 83 फीसदी अंक के साथ पास की। स्नातक की पढ़ाई साइंस कॉलेज पटना से की है। एनसीसी में सी सर्टिफिकेट पास किया है।.

सीडीएस की तैयारी पटना में साथियाें के साथ की। पिता संजीत सिंह, सेना से रिटायर्ड हैं और मां श्वेता सिंह गृहिणी हैं। एक छोटी बहन पटना के निजी स्कूल में पढ़ाई कर रही है। दादाजी सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक हैं। उन्हाेंने भी खूब हौसला बढ़ाया।जैसा कि शुभम कुमार ने बताया

ग्रामीणों ने सफलता पर दी बधाई

शुभम की इस सफलता पर ग्रामीण राेशन सिंह, विभांशु सिंह, सोनू सिंह, राहुल सिंह, कंचन सिंह, सोनीत सिंह, अवनीत सिंह, सत्यवीर सिंह, कन्हैया समदर्शी, भास्कर कुमार और अन्य ने बधाई दी है। सभी ने कहा कि वह बचपन से ही काफी मेहनती था।

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