बिहार सरकार लाख दावे शिक्षा के प्रति कर ले लेकिन धरातल कुछ और ही वया कर रही है, आईए हम कुछ ऐसा ही नमूना दिखाने का प्रयास करते हैं, सहरसा जिले में एक ऐसा विद्यालय है, जहां के बच्चे आज भी खुले आसमान के नीचे बैठ कर पढ़ते हैं. तपती धूप हो, सर्दी हो या बारिश का मौसम, उससे बचने के लिए स्कूल के छात्रों को पास के बांसवारी का सहारा लेना पड़ता हैं.

 

जबकि स्कूल के पास भवन निर्माण के लिए पर्याप्त जमीन है. यह वाक्या सहरसा जिले के सौरबाजार प्रखंड अंतर्गत एनपीएस विद्यालय विजय नगर पश्चिम का है, जहां डेढ़ सौ से अधिक बच्चे बांसवारी के नीचे पढ़ने को मजबूर है, जहां किसी तरह की अप्रिय घटना कभी भी घटित हो सकती है.

जानकारी के अनुसार, कांप पंचायत में संचालित विद्यालय एनपीएस विजयनगर पश्चिम को अब तक अपना भवन नसीब नहीं हो सका है. विद्यालय में डेढ़ सौ से अधिक बच्चे बांसवारी के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. इस संबंध में प्रधानाध्यापक मनोज कुमार राय ने बताया कि विद्यालय के पास पर्याप्त जमीन है, बावजूद यहां आज तक भवन बनाने की स्वीकृति नहीं मिल सकी है. उन्होंने बताया कि एक स्कूल में करीब 180 बच्चों का नामांकन है,

 

लेकिन तपती धूप और बरसात में काफी कठनाइयों का सामना करते हुए यहां बच्चों का पढ़ाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि पहले इस विद्यालय को एक मध्य विद्यालय में समायोजित किया गया था, लेकिन ग्रामीणों के हंगामा के कारण पुनः विद्यालय बांसवारी में स्थापित कर दिया गया. इसी तरह विद्यालय का वर्तमान समय में संचालन हो रहा है.

क्या कहते है जिला शिक्षा पदाधिकारी

इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी हब्बीबुल्ला ने बताया कि सोमवार को मामले की जांच कराई जाएगी. विभागीय पत्र के अनुसार, जिस विद्यालय को भवन नहीं है, उनको नजदीकी मध्य विद्यालयों में समायोजित किया जाना है. गौरतलब है कि बिहार सरकार प्रदेश के हर गांव में स्कूल का अपना भवन होने का दावा करती है, लेकिन सहरसा जिले का यह स्कूल सरकरा के सारे दावों की पोल खोल रहा है, जहां अब भी खुले आसमान के नीचे बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. .

By Indradev Kumar

Patrakar

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