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बिहार में विधानसभा चुनाव की दस्तक के साथ ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। खासकर भागलपुर जिले की कहलगांव विधानसभा सीट इस बार सियासी सरगर्मी का केंद्र बनती जा रही है। इस सीट पर कभी कांग्रेस का मजबूत कब्जा रहा करता था, लेकिन 2020 में भाजपा ने यहां से जीत दर्ज कर राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया। अब एक बार फिर यह सीट चर्चा में है, क्योंकि INDIA गठबंधन के भीतर इसे लेकर खींचतान साफ नजर आ रही है।

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राजद के युवा कार्यकर्ता विक्रम मंडल ने हाल ही में एक प्रेस वार्ता कर इस सीट से अपनी दावेदारी पेश की है। उन्होंने कहा कि कहलगांव की जनता बदलाव चाहती है और इस बार अति पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधि चुनावी मैदान में उतरना चाहिए। विक्रम मंडल ने कहा कि जिस तरह पार्टी ने अति पिछड़ा समाज के बेटे मंगनी लाल मंडल को सम्मानजनक भूमिका दी, उसी तर्ज पर कहलगांव से भी समाज का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।

प्रेस से बातचीत में विक्रम मंडल ने यह भी दावा किया कि यदि उन्हें राजद का सिंबल मिलता है, तो वे पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि वे लगातार क्षेत्र में जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुन रहे हैं और उन्हें भरोसा है कि इस बार बदलाव की बयार बहेगी। विक्रम मंडल ने यह भी दावा किया कि अति पिछड़ा समाज उन्हें पूरा समर्थन दे रहा है और INDIA गठबंधन की एकजुटता से महागठबंधन की जीत तय है।

उधर, कांग्रेस भी इस सीट को लेकर अपने प्रयास तेज कर चुकी है। कांग्रेस की ओर से प्रवीण सिंह कुशवाहा पूरी ताकत के साथ पार्टी टिकट पाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है और पार्टी को इसे छोड़ना नहीं चाहिए। गौरतलब है कि कांग्रेस नेता स्व. सदानंद सिंह इस सीट से नौ बार विधायक चुने गए थे और उनके कार्यकाल में कहलगांव में विकास को नई दिशा मिली थी। लेकिन 2020 में यह सीट भाजपा के पवन यादव के खाते में चली गई।

इस बार सीट शेयरिंग को लेकर राजद और कांग्रेस के बीच अंदरखाने रस्साकशी तेज हो गई है। एक ओर कांग्रेस इस सीट को अपनी खोई हुई जमीन मानती है और उसे फिर से हासिल करने की कोशिश में है, तो दूसरी ओर राजद अपने नए युवा चेहरे को मौका देने की रणनीति पर काम कर रही है।

राजनीतिक दलों के बीच इस खींचतान का असर अब क्षेत्र में भी दिखने लगा है। कहलगांव में बैनर-पोस्टर लगने शुरू हो गए हैं और कार्यकर्ता क्षेत्र में सक्रिय हो चुके हैं। हर गली-मुहल्ले में चुनावी चर्चा हो रही है। आम जनता भी इस बार के चुनाव में अति पिछड़ा समाज को प्रतिनिधित्व देने की बात कर रही है।

हालांकि अभी तक INDIA गठबंधन की ओर से सीट बंटवारे को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन जानकारों का मानना है कि अगर राजद को यह सीट मिलती है और विक्रम मंडल जैसे युवा चेहरे को मौका दिया जाता है, तो मुकाबला रोचक हो सकता है।

अब देखना यह होगा कि कहलगांव सीट पर INDIA गठबंधन किसे प्रत्याशी बनाता है और क्या कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट को बचा पाती है या राजद नया इतिहास रचने में कामयाब होता है। एक बात तो तय है, कहलगांव की सियासी ज़मीन इस बार पूरी तरह गर्म हो चुकी है और आने वाले दिनों में यहां से कई बड़ी राजनीतिक खबरें सामने आ सकती हैं।

 

 

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By admin

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