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भागलपुर के रेड क्रॉस रोड पर स्थित डॉ. अजय कुमार सिंह के *स्नेह नवजात शिशु एवं बाल सेवा केंद्र* में रविवार को एक दृश्य ने लोगों को कुछ पल के लिए स्तब्ध कर दिया। चारों तरफ धुआं उठता दिखा, लोग ‘बचाओ-बचाओ’ चिल्ला रहे थे और भीड़ इकठ्ठा होने लगी। सूचना मिलते ही अग्निशमन विभाग की गाड़ियाँ सायरन बजाते हुए मौके पर पहुँचीं। कुछ ही पलों में दृश्य स्पष्ट हुआ — यह एक मॉक ड्रिल थी, जिसे अग्निशमन विभाग और *जीवन जागृति सोसायटी* के संयुक्त प्रयास से किया गया था।

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इस अभ्यास का उद्देश्य था — आमजन को यह दिखाना कि आपातकालीन स्थिति में बचाव कैसे होता है और किस प्रकार छोटे-छोटे सुरक्षा उपाय बड़ी जानें बचा सकते हैं।

डॉ. अजय कुमार सिंह, जो *जीवन जागृति सोसायटी* के अध्यक्ष भी हैं, ने बताया कि लोगों की एक आम आदत है कि वे घर की बालकनी में ग्रिल लगाकर उसे पूरी तरह से बंद कर देते हैं। यह सुरक्षा की जगह कई बार खतरे का कारण बन जाती है। यदि आग सीढ़ियों से होकर ऊपर तक पहुंच जाए, तो लोग न तो सीढ़ी से नीचे आ सकते हैं, न ही बालकनी से बाहर निकल सकते हैं क्योंकि ग्रिल उन्हें कैद कर देती है।

इसी समस्या को समझते हुए डॉ. अजय ने अपने नर्सिंग होम और घर की बालकनी में सुरक्षा ग्रिल के साथ एक ‘दरवाजा’ भी बनवाया है, जिससे आपात स्थिति में लोग आसानी से बाहर निकाले जा सकें। उन्होंने इसी पहल को दिखाने के लिए अग्निशमन विभाग से मॉक ड्रिल की अनुमति मांगी।

अनुमंडल अग्निशमन अधिकारी श्री नागेंद्र उपाध्याय ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “हमने ग्रिल में इस प्रकार का दरवाजा पहले कहीं नहीं देखा था। यह आम जनता के लिए एक बड़ी सीख है। अगर सभी लोग ऐसा करें, तो आपदा की स्थिति में रेस्क्यू ऑपरेशन बहुत आसान हो सकता है।”

मॉक ड्रिल के दौरान अग्निशमन कर्मियों ने तीन मंजिले से लोगों को सीढ़ी के जरिए निकाला। कुछ लोगों को अग्निशामक अपने कंधे पर उठाकर नीचे लाए। भीड़ में मौजूद लोग इस पूरी प्रक्रिया को देखकर स्तब्ध और जागरूक हुए।

डॉ. अजय कुमार सिंह ने लोगों से अपील की कि वे घर बनाते समय ग्रिल को पूरी तरह बंद न करें। उसमें एक छोटा सा दरवाजा जरूर छोड़ें ताकि किसी दुर्घटना की स्थिति में रेस्क्यू संभव हो सके। उन्होंने कहा, “हमारी गलती से न सिर्फ हमारी जान जा सकती है, बल्कि अग्निशमन दल भी चाहकर लोगों को नहीं बचा पाता। अगर घर को जेल की तरह बंद कर दिया गया है, तो बाहर से किसी की भी पहुंच मुश्किल हो जाती है।”

श्री नागेंद्र उपाध्याय ने लोगों को आगाह करते हुए कहा, “अनहोनी कहकर नहीं आती। जब भी घर बनाएं, सीढ़ियाँ चौड़ी रखें और उस पर कोई सामान जमा न करें। अग्निशमन विभाग की ओर से जो पंपलेट या जागरूकता संदेश दिए जाते हैं, उन्हें गंभीरता से पढ़ें और अमल करें। आज की मॉक ड्रिल ने साबित कर दिया है कि एक छोटा सा बदलाव कितनी बड़ी सुरक्षा दे सकता है।”

मॉक ड्रिल के बाद उपस्थित जनसमूह को भी सुरक्षा उपायों की जानकारी दी गई। लोगों ने इस आयोजन की सराहना की और कहा कि वे अब अपने घर की सुरक्षा बनावट पर विशेष ध्यान देंगे।

अंत में, डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा, “सुरक्षा सिर्फ दीवारों से नहीं होती, सोच और तैयारी से होती है। आज जो लोग मॉक ड्रिल में बचाए गए, वे असल में हमारा समाज है। अगर हर कोई जागरूक हो जाए, तो हम सभी सुरक्षित रह सकते हैं।”



**निष्कर्ष:**
यह मॉक ड्रिल एक स्पष्ट संदेश छोड़ गई — **“सुरक्षा का पहला कदम है समझदारी”।** अग्निशमन विभाग और जीवन जागृति सोसायटी की यह पहल न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि जनहित में अत्यंत आवश्यक भी। आने वाले दिनों में यदि आम लोग इस तरह की छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें, तो आपदाएं केवल ख़बर नहीं, बल्कि सबक बन जाएंगी।

 

 

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