भागलपुर में विक्रमशिला गांगेय डाल्फिन आश्रयणी में डॉल्फिन की संख्या बढ़ गई है। आवागमन का रास्ता हुआ सुगम होने से ऐसा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक कुछ डाल्फिन अपने बच्चों को दूध पिलाते हुए देखी गई। अब इनकी संख्या 208 पहुंच गई है।
भागलपुर: गंगा नदी में डाल्फिन की संख्या में वृद्धि हुई है। विक्रमशिला गांगेय डाल्फिन आश्रयणी में पिछले साल इसकी संख्या 188 थी, जो बढ़कर 208 हो गई है। साथ ही घड़ियाल, मगरमच्छ, उदविलाव व 63 प्रजाति की मछली भी देखी गई है। वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट ने अपना सर्वे रिपोर्ट वन विभाग को सौंप दिया है। सर्वे में कहा गया है कि गंगा नदी में आवागमन सुगम होने के कारण डाल्फिन की प्रजजन क्षमता में वृदि्ध हुई है। जगह-जगह प्रतिबंधित जाल नहीं लगे रहने के कारण डाल्फिन के 12 बच्चे गंगा नदी में अठखेलियां कर रहे हैं। मुंगेर से फरक्का के बीच 208 किलोमीटर क्षेत्र में 709 डाल्फिन गंगा नदी में है।
वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट पिछले 22 साल से गांगेय डाल्फिन का सर्वे कर रही है। इस साल नचिकेत केलकर के नेतृत्व में जनवरी से जून तक मुंगेर से फरक्का तक गंगा नदी में सर्वे किया गया। सुल्तानगंल से कहलगांव तक 71 किलोमीटर गांगेय डाल्फिन आश्रयणी क्षेत्र में पिछले साल 188 डाल्फिन की गणना की गई थी। इस साल 208 डाल्फिन की गणना की गई। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि डाल्फिन के प्राकृतिक आवास में सुधार हुआ है। इस साल सर्वे के दौरान 12 बच्चे भी देखे गए हैं। सर्वे रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पांच में एक व्यस्क मादा डाल्फिन बच्चे को दूध पीला रही थी। डाल्फिन की प्रजजन क्षमता में वृद्धि हुई है।

जलीय जीव की बढ़ रही संख्या
गंगा में पिछले एक साल में तीन हजार किलो प्रतिबंधित जाल को बरामद किया गया है। लगातार गश्ती होने के कारण जलीय जीव का रास्ता सुगम हो गया है। गंगा नदी में जगह-जगह प्रतिबंधित जाल लगा दिए जाने की वजह से जलीय जीवों को आवागमन में मुश्किल हो रही थी। डाल्फिन की संख्या में भी कमी आ रही थी। जाल में फंसकर डाल्फिन की मौत हो जा रही थी। कार्रवाई शुरू होने के बाद डाल्फिन, मगरमच्छ, घड़ियाल, उदविलाव और मछली की प्रजातियों में वृद्धि हो रही है। 2002-03 व 2012-14 में डाल्फिन की संख्या दो सौ के करीब थी।
लोगों को किया जा रहा है जागरूक
डाल्फिन प्रेमी व तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील चौधरी और वन विभाग की ओर मछुआरों और स्थानीय लोगों के बीच जलय जीव को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। मछुआरों को छोटी मछलियों को नहीं पकड़ने और प्रतिबंधित जाल को नहीं पकड़ने का आग्रह किया गया है। इसका असर देखने को मिल रहा है।
वन प्रमंडल पदाधिकारी भरत चिंतपल्लि ने कहा, ‘भागलपुर से कहलगांव के बीच 71 किलोमीटर गांगेय डाल्फिन आश्रयणी क्षेत्र है। यह क्षेत्र प्रतिबंधित है। इस क्षेत्र में लगातार कार्रवाई होने और लोगों में जागरूकता आने की वजह से डाल्फिन की संख्या में वृद्धि हुई है। घड़ियाल और मगरमच्छ भी देखे जा रहे हैं। 63 प्रकार की मछलियां गंगा में देखी गई है।’