हर माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस प्रकार शनिवार 15 जनवरी को पौष माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता-पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। सप्ताह के सातों दिनों को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को नाम से पुकारा जाता है। साल का प्रथम प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है। अत: यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा। शास्त्रों और पुराणों में निहित है कि शनिवार का प्रदोष व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोगों को शनि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। अतः व्यक्ति विशेष को भगवान शिव और माता पार्वती संग शनिदेव की श्रद्धा पूर्वक पूजा-भक्ति करनी चाहिए। आइए, व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत महत्व जानते हैं-
-शनि प्रदोष के दिन गरीबों, असहाय और जरुरतमंदों को अन्न और जल का दान करना भी शुभ माना जाता है। इसके लिए शनि प्रदोष के दिन गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं। इससे पितर भी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा, शनिवार के दिन छाया दान का भी विधान है। इसके लिए एक पात्र में सरसों का तेल और एक रुपये के सिक्के को रखकर चेहरा देखें। इसके बाद तेल का दान कर दें।
-ज्योतिष पंडितों की मानें तो शनि प्रदोष के दिन घर के प्रवेश द्वार पर घोड़े की लगाने से कारोबार में तरक्की और उन्नति होती है। साथ ही बुरी और आसुरी शक्तियों का नाश होता है। साथ ही घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। इसके लिए शनि प्रदोष के दिन स्नान-ध्यान करने के पश्चात घर के मुख्य द्वार पर घोड़े की नाल लगाएं।
-शनिदेव न्याय के देवता हैं। उन्हें न्याय प्रिय लोग बेहद पसंद हैं। अगर आप शनि अमावस्या के दिन दान करते हैं, तो शनिदेव प्रसन्न होंगे। उनकी कृपा से बिगड़े काम भी बन जाएंगे। इसके लिए शनिवार के दिन उड़द दाल, खिचड़ी, सरसों का तेल, छतरी, काले तिल, काले जूते और कंबल आदि चीजों का दान कर सकते हैं।
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