सहरसा में साल की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन शनिवार को व्यवहार न्यायालय के मेन बिल्डिंग परिसर में किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में आयोजित इस लोक अदालत में न्यायिक प्रक्रिया को सरल, सुलभ और त्वरित बनाने की दिशा में प्रभावी पहल की गई। लोक अदालत में कुल 12 बेंचों का गठन किया गया, जहां बिना किसी शुल्क के विभिन्न प्रकार के सुलह योग्य मामलों का आपसी सहमति से निपटारा किया गया।
लोक अदालत में बड़ी संख्या में फरियादी अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे। यहां ट्रैफिक चालान, विद्युत से जुड़े विवाद, मोटर दुर्घटना दावा, बैंक ऋण, बीमा से संबंधित मामले, पारिवारिक विवाद समेत अन्य लंबे समय से लंबित मामलों की सुनवाई की गई। लोक अदालत की खासियत यह रही कि मामलों का समाधान आपसी समझौते के आधार पर किया गया, जिससे लोगों को लंबी न्यायिक प्रक्रिया और अतिरिक्त खर्च से राहत मिली।
हर बेंच में एक न्यायिक पदाधिकारी के साथ अनुभवी अधिवक्ता मौजूद रहे। अधिवक्ताओं द्वारा पक्षकारों को कानूनी सलाह और मार्गदर्शन दिया गया, ताकि वे अपने-अपने मामलों में बेहतर निर्णय ले सकें। इससे फरियादियों को न केवल न्याय मिला, बल्कि उन्हें विधिक प्रक्रिया की भी सही जानकारी प्राप्त हुई।
इस मौके पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रंजुला ने कहा कि लोक अदालत आम जनता के लिए न्याय पाने का सशक्त माध्यम है। उन्होंने बताया कि लोक अदालत के जरिए विभिन्न प्रकार के विवादों को बिना किसी परेशानी के और पूरी तरह नि:शुल्क सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 12 बेंचों के माध्यम से मामलों का त्वरित निष्पादन किया जा रहा है, जिससे न्यायालयों पर बोझ भी कम हो रहा है।
वहीं जिला पुलिस अधीक्षक हिमांशु कुमार और जिलाधिकारी दीपेश कुमार ने संयुक्त रूप से लोक अदालत की सराहना की। उन्होंने कहा कि लोक अदालत से न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और तेजी आती है। साथ ही आम लोगों को समय और धन दोनों की बचत होती है। दोनों अधिकारियों ने आम जनता से अपील की कि वे अधिक से अधिक संख्या में लोक अदालत का लाभ उठाएं और अपने लंबित मामलों का समाधान कराएं।
राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन से सहरसा जिले में न्याय को घर-घर तक पहुंचाने की दिशा में एक सकारात्मक संदेश गया है।
