भागलपुर जिले के सन्हौला प्रखंड की **सिलहन खजुरिया पंचायत** में विकास के सरकारी दावों की सच्चाई सामने आ गई है। राज्य सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट **‘हर घर नल का जल’** जहां पूरे बिहार में सुर्खियों में रहता है, वहीं इस पंचायत में यह योजना पिछले **छह महीनों से पूरी तरह बंद** पड़ी है। एक तरफ सरकार विकास का दावा करती है, दूसरी तरफ जमीनी हकीकत इससे अलग तस्वीर पेश करती है।
पंचायत के **बेलडीहा गांव, वार्ड नंबर 11** में स्थिति बेहद गंभीर है। यहां के ग्रामीणों, खासकर महिलाओं ने बताया कि छह महीनों से नल में एक बूंद भी पानी नहीं आया है। मजबूरी में लगभग **50 से 60 घरों** के लोग हर महीने **100 से 150 रुपये** इकट्ठा कर पास के निजी बोरिंग मालिक को भुगतान करते हैं, तभी उन्हें पानी मिल पाता है। यह स्थिति न सिर्फ सरकारी लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की उदासीनता का भी बड़ा प्रमाण है।
ग्रामीणों का कहना है कि योजना शुरू होने के बाद कुछ समय तक पानी मिला, लेकिन फिर मोटर और पाइपलाइन के रखरखाव की उपेक्षा होने लगी। शिकायतें कई बार की गईं, लेकिन न तो पंचायत प्रतिनिधि और न ही विभागीय अधिकारी समस्या देखने पहुंचे। लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पानी खरीदना पड़ रहा है, जो आर्थिक तौर पर भी बोझ बनता जा रहा है।
इसके साथ ही गांव में **नाले की बदहाल व्यवस्था** ने समस्या को और विकराल बना दिया है। गांव में नाला तो बना, लेकिन उसकी **सफाई कभी नहीं हुई**। नतीजा यह है कि गंदा पानी नाले से निकलकर सीधे सड़क पर बहता रहता है। इससे सड़क की स्थिति खराब हो चुकी है और **छोटे बच्चे आए दिन फिसलकर घायल हो जाते हैं**। गंदे पानी से बदबू और मच्छरों की समस्या भी बढ़ गई है, जो स्वास्थ्य पर खतरा पैदा कर रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि वे कई बार स्थानीय पदाधिकारी, वार्ड सदस्य और पंचायत प्रतिनिधियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनकी परेशानियों पर किसी की नजर नहीं है, मानो गांव के लोगों की समस्याएँ किसी के लिए मायने ही नहीं रखतीं।
पंचायत क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के इस स्तर का गिरना यह दर्शाता है कि विकास की योजनाएँ सिर्फ कागजों पर हैं, जमीन पर इनका असर बहुत कम दिखता है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द स्थिति का संज्ञान लेगा और बंद पड़ी जल आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त कराएगा। साथ ही नाले की सफाई की लगातार व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी, ताकि गांव स्वच्छ और सुरक्षित बन सके।
ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और अधिकारी वास्तविक समस्याओं की ओर ध्यान दें, क्योंकि विकास का अर्थ तभी पूरा होगा जब योजनाएँ हर घर तक वास्तविक रूप में पहुंचें, न कि सिर्फ कागज़ों पर।
