भागलपुर नगर निगम में बीते दिनों कई घोटालों का पर्दाफाश हुआ लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं हुई। यहां तक की घोटाला करने वाले कर्मियों व अधिकारियों को बड़े अधिकारी संरक्षण दे रहे हैं। इसको लेकर भागलपुर नगर निगम के उप महापौर राजेश वर्मा जमकर बिफरे। दरअसल उपमहापौर राजेश वर्मा ने नगर निगम परिसर में प्रेस वार्ता कर कहा कि बीते दिनों ट्रेड लाइसेंस घोटाला सामने आया था।और जब इसकी जाँच शुरू हुई तो नगर निगम के पदाधिकारियों को दोषियों का पता लगाने में 1 साल लग गए। और जब पता चला तो नगर आयुक्त ने एक अद्भुत चिट्ठी जारी किया है। जिसमें उन्होंने घोटाला करने वालों को लिखा है कि सभी लोग घोटाले के पैसे समय सीमा के अंदर भुगतान कर दें। जबकि नियम कहता है अगर किसी पर पैसे घोटाले करने का आरोप सिद्ध होता है तो उनपर 420 का एफआईआर दर्ज होता है लेकिन नगर आयुक्त ने एफआईआर न कर सिर्फ पैसे भुगतान करने की बात कही है। इसमें कुछ लोग ऐसे हैं जो नगर निगम में अभी महत्वपूर्ण पद पर कार्य कर रहे हैं। राजेश वर्मा ने कहा कि हमारी माँग है कि उन पदाधिकारियों पर अविलम्ब एफआईआर दर्ज हो और कानूनी कार्रवाई की जाए।
बता दें कि ट्रेड लाइसेंस मामले में लगभग 30 लाख का घोटाला सामने आया था। जिसमें नगर निगम के शाखा प्रभारी के वारंट निरीक्षक पद पर पूर्व में तैनात रहे सुनील हरि पर 8500 रुपये , प्रधान टंकक पद पर तैनात रही दिव्या स्मृति पर 23 लाख12 हजार तीन सौ , सहायक पद पर तैनात रहे सौरभ सुमन पर एक लाख 40 हजार तीन सौ, पेशाकर निरीक्षक पद पर रहे आदित्य जायसवाल पर 1 लाख 33 हजार 100 रुपये व सहायक पद पर तैनात निरंजन मिश्रा पर एक लाख 53 हजार पाँच सौ रुपये के घोटाले के आरोप हैं। बहरहाल अब इस मामले में नगर विकास विभाग क्या कुछ कार्रवाई करती है यह देखना शेष है।

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