साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता है। डेंगू पीड़ितों का फौरन इलाज शुरू नहीं किया जाता तो खतरनाक साबित हो सकता है।
बिहार में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। पटना और नालंदा के बाद अब राज्य के ग्रामीण इलाकों में भी डेंगू तेजी से फैल रहा है। जहानाबाद में गुरुवार को सुधा दूध के एक विक्रेता नरेश प्रसाद की डेंगू से मौत हो गई। जिले में डेंगू से पीड़ित मरीजों की संख्या 52 तक पहुंच गई है। जबकि पांच अन्य संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान की गई है।
स्वास्थ्य विभाग के द्वारा डेंगू की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जहानाबाद में डेंगू से दूसरे व्यक्ति की मौत हुई है। इसके पूर्व भी एसएन कॉलेज के एक प्राध्यापक डॉ उमाशंकर सुमन के पुत्र मंजीत कुमार की मौत भी डेंगू से होने की बात बताई जा रही है।
ग्रामीण इलाके डेंगू की चपेट में
डेंगू अब प्रकोप शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी पांव पसराने लगा है। पिछले एक सप्ताह में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष जहानाबाद जिले में मात्र डेंगू के 3 मरीज पाए गए थे।
इस साल मच्छरों का प्रकोप बढ़ा हुआ है। इस बार जहानाबाद शहर के अलावा डेंगू के सबसे अधिक मरीज घोसी एवं काको प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र में मिल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार मच्छरों का प्रकोप बढ़ने से डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसी बीमारी की आशंका बढ़ जाती है।
डेंगू के अलावा अन्य बीमारियां भी बढ़ीं
सदर अस्पताल के वरीय चिकित्सक डॉ विजय कुमार झा बताते हैं कि मच्छरों के काटने से एलर्जी, फोड़ा, फुंसी के मरीज रोजाना 15-20 की संख्या में आ रहे हैं, जिनकी जांच कर दवाएं दी जा रही हैं। हालांकि जिला वेक्टर बोर्न जनित नियंत्रण विभाग के कंसलटेंट निशिकांत बताते हैं कि बरसात के दिनों में मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि बरसात में डेंगू व चिकनगुनिया का खतरा बढ़ जाता है। शुरुआत में सामान्य-सा लगनेवाला डेंगू बुखार देर करने या गलत इलाज से जानलेवा साबित हो सकता है। वक्त पर सही इलाज हो तो हालात नियंत्रण में रहते हैं।
उन्होंने बताया कि डेंगू व चिकनगुनिया के संभावित खतरों से निपटने का इंतजाम किया गया है। जांच किट उपलब्ध है। जरूरत पड़ने पर विशेष वार्ड बनाया जाएगा। जागरूकता अभियान के दौरान बीमारी के लक्षण, पहचान व बचाव की जानकारी दी जा रही है।
समय पर इलाज न मिले तो खतरनाक हो जाता है डेंगू बुखार
शहर के प्रसिद्ध निजी चिकित्सक डॉक्टर गिरिजेश कुमार ने बताया कि पहला क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार, दूसरा डेंगू हैमरेजिक बुखार (डीएचएफ) और तीसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) डेंगू होता है। इन तीनों में से सबसे ज्यादा खतरनाक डीएचएफ व डीएसएस होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता है। डेंगू पीड़ितों का फौरन इलाज शुरू नहीं किया जाता तो खतरनाक साबित हो सकता है।
डेंगू से हर साल सैकड़ों लोग अपनी जान गवां देते हैं। इस बुखार से पीड़ित व्यक्ति में सिरदर्द, रैशेज, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, ठंड लगना, कमजोरी, चक्कर आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।डेंगू से पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट लेनी चाहिए। इसके अलावा इन लक्षणों के नजर आते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।