भागलपुर।

बिहार के मध्य विद्यालयों में कार्यरत शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों को पूर्णकालिक करने की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। इसी क्रम में भागलपुर जिला शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक संघ के जिला अध्यक्ष अभय कुमार मिश्रा एवं रविन्द्र कुमार ने बिहार के उपमुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी से मुलाकात कर अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने स्पष्ट रूप से अनुदेशकों की सेवा को अंशकालिक से पूर्णकालिक करने की मांग रखी।

अभय कुमार मिश्रा ने बताया कि बिहार के मध्य विद्यालयों में वर्तमान में लगभग 2000 शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक कार्यरत हैं, जो वर्ष 2022 से सेवाएं दे रहे हैं। प्रारंभिक दौर में इन अनुदेशकों को मात्र 8000 रुपये मानदेय पर अंशकालिक रूप से नियुक्त किया गया था। लंबे संघर्ष और लगातार मांगों के बाद चुनाव के समय सरकार द्वारा इनके वेतन में वृद्धि तो की गई, लेकिन अब तक इन्हें पूर्णकालिक का दर्जा नहीं दिया गया है, जबकि व्यवहारिक रूप से ये अनुदेशक विद्यालयों में पूर्ण समय कार्य कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों की सेवा अवधि 60 वर्ष निर्धारित है। विद्यालयों में ये अनुदेशक सुबह की प्रार्थना सभा (असेंबली पीरियड) से लेकर विभिन्न खेल गतिविधियों, शारीरिक प्रशिक्षण और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता कार्यक्रमों में अहम भूमिका निभाते हैं। बच्चों को स्वस्थ जीवनशैली, अनुशासन और खेल कौशल की जानकारी देने के साथ-साथ जिले और राज्य स्तर पर आयोजित खेल प्रतियोगिताओं में भी इनकी सक्रिय भागीदारी रहती है।

इतना ही नहीं, चुनाव के दौरान BLO, मतगणना तथा अन्य प्रशासनिक कार्यों में भी शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों से सहयोग लिया जाता है। इसके बावजूद उनकी सेवा शर्तें अब तक अंशकालिक ही बनी हुई हैं, जो उनके साथ अन्याय है। अभय मिश्रा ने सवाल उठाते हुए कहा कि अब जब विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें आ रही हैं, तो उन विषयों को बच्चों को पढ़ाएगा कौन? क्या केवल असेंबली और खेल मैदान में उपस्थिति से बच्चे खेलों का समुचित ज्ञान हासिल कर पाएंगे? और क्या इसी व्यवस्था से बिहार के बच्चे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक ला सकेंगे?

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यदि सरकार वास्तव में बिहार के बच्चों को हर क्षेत्र में दक्ष बनाना चाहती है, तो शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों को पूर्णकालिक करना अनिवार्य है। यह न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएगा, बल्कि खेल और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी राज्य को नई पहचान दिलाएगा।

वहीं, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अनुदेशकों की मांगों को गंभीरता से सुनते हुए आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर जल्द ही विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षा और खेल दोनों क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और शारीरिक शिक्षा से जुड़े मामलों पर सकारात्मक निर्णय लेने का प्रयास किया जाएगा।

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