भागलपुर में लंबे समय से लंबित मांग—उच्च न्यायालय खंडपीठ की स्थापना—एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। बुधवार को भागलपुर व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे और शहर में व्यापक मार्च निकालकर सरकार से तत्काल निर्णय लेने की अपील की। अधिवक्ताओं ने कहा कि न्यायिक ढांचे को मजबूत बनाना और जनता को त्वरित एवं सुलभ न्याय प्रदान करना समय की जरूरत है।

 

यह जुलूस कचहरी परिसर से प्रारंभ होकर समाहरणालय परिसर, मनाली चौक, तिलकामांझी चौक होते हुए पुलिस लाइन मार्ग से वापस कोर्ट परिसर पहुंचा। पूरे मार्च के दौरान अधिवक्ता “भागलपुर में खंडपीठ स्थापित करो” और “न्याय व्यवस्था सुदृढ़ करो” जैसे नारों के साथ न्यायिक सुविधाओं के विस्तार की मांग को बुलंद करते रहे। जुलूस में युवा व वरिष्ठ दोनों पीढ़ियों के अधिवक्ता बड़ी संख्या में शामिल थे, जिससे आंदोलन की गंभीरता स्पष्ट दिखाई दी।

 

मार्च के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेमनाथ ओझा ने संवाददाताओं से बातचीत में भागलपुर के ऐतिहासिक महत्व और इसके विस्तृत न्यायिक दायरे की जानकारी देते हुए कहा कि कभी भागलपुर का अधिकार क्षेत्र दार्जिलिंग तक फैला होता था। उन्होंने बताया कि बंगाल के कई हिस्से भी यहां के न्यायिक क्षेत्र में शामिल थे। समय के साथ क्षेत्रीय पुनर्गठन हुआ—बांका अलग जिला बना, नवगछिया में न्यायालय के ढांचे का विकास जारी है और कहलगांव अनुमंडल में भी न्यायिक इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं। इन बदलावों के कारण न्यायिक गतिविधियाँ विभिन्न हिस्सों में बिखरने लगी हैं और भागलपुर का केंद्रीय न्यायिक महत्व लगातार प्रभावित हो रहा है।

 

अधिवक्ताओं का कहना है कि भागलपुर की भौगोलिक स्थिति, विशाल जनसंख्या, केस लोड और ऐतिहासिक न्यायिक आधार को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय खंडपीठ की स्थापना पूरी तरह न्यायोचित है। उनका तर्क है कि पटना जाकर मुकदमों की पैरवी करना आम लोगों के लिए न केवल महंगा साबित होता है, बल्कि इससे समय भी अधिक लगता है, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती है। भागलपुर में खंडपीठ बनने से क्षेत्र के लाखों लोगों को शीघ्र न्याय मिल सकेगा और न्यायिक व्यवस्था और अधिक मजबूत होगी।

 

मार्च में शामिल अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही इस मुद्दे पर ठोस निर्णय नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और अधिक तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मांग केवल वकीलों की नहीं बल्कि पूरे कोसी–सगर–अंग क्षेत्र की जनता की आवाज है, जिसे अब अनसुना नहीं किया जा सकता।

 

पूरे मार्च के दौरान उत्साह, आक्रोश और न्यायिक सुधार की मांग का स्वर एक साथ गूंजता रहा। अधिवक्ताओं ने स्पष्ट संकेत दिया कि न्यायिक सुविधा के विस्तार और खंडपीठ की स्थापना के लिए वे किसी भी स्तर तक संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।

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