बिहार के खगड़िया में गंगा किनारे खतरनाक सांप का बसेरा है। पिछले दिनों यहां अजगर व रसेल वाइपर मिला। वन विभाग ने काफी मशक्‍कत के बाद इसके पकड़ा। सांप को श्रृषिकुंड मुंगेर दिया गया है। इससे परेशानी बढ़ी है।

खगड़िया का गंगा किनारा खतरनाक सांपों का बसेरा बनता जा रहा है। अजगर से लेकर रसेल वाइपर तक पाए जा रहे हैं। इससे वन विभाग भी सकते में है। इस बीच परबत्ता प्रखंड में लगातार रसल वाइपर देखे जा रहे हैं। यह भारत का सबसे खतरनाक और विषैला सर्प है। खगड़िया का परबत्ता और गोगरी प्रखंड मुख्य रूप से गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां इन दिनों विषैले सांप लगातार देखे जा रहे हैं। बीते महीनों अगुवानी गंगा तट पर अजगर मिला था। बीते वर्ष बौरना गांव में भी एक से अधिक अजगर मिले थे। बीते रविवार को परबत्ता के नयागांव आइटीआइ के पास एक बथान पर दो रसल वाइपर और एक घोड़ करैत मिला है। रसल वाइपर भारत का सबसे विषैला सर्प है। घोड़ करैत भी साइलेंट किलर माना जाता है।

बथान पर मिले सभी तीन सांप को मुंगेर वन विभाग के स्नैक कैचर को बुलाकर पकड़ा गया। फिर इसे श्रृषिकुंड, मुंगेर के जंगल में छोड़ा गया। परबत्ता के वन उप परिसर पदाधिकारी शत्रुघ्न पंजियार ने बताया कि, इस इलाके में रसल वाइपर लगातार दिख रहे हैं। नयागांव आइटीआइ के पास बीते रविवार को दो रसल वाइपर मिले। इससे पहले भी तेहाय पुनौर और सतीश नगर में रसल वाइपर का रेस्क्यू किया गया था। इसका एक कारण यह हो सकता है कि, यह बाढ़ का इलाका है। अजगर तो निश्चित रूप से बाढ़ में ही बहकर आया था। वैसे, जैव विविधता अच्छी चीज है। नेचर के लिए बेहतर है।

नहीं है खगड़िया वन विभाग के पास स्नैक कैचर

हैरत की बात यह है कि खगड़िया वन विभाग के पास एक भी स्नैक कैचर नहीं है। कहीं से भी जब सांप मिलने की सूचना आती है तो विभाग के हाथ पांव फूलने लगते हैं। सपेरे को बुलाकर जान जोखिम में डालकर सांप को पकड़ा जाता है। वन विभाग के अधिकारी भी कहते हैं- विषैले सांपों को पकड़ने में हर हमेशा रिस्क रहता है। स्नैक कैचर नहीं है। इसलिए जोखिम बढ़ा हुआ है।

खगड़िया जिले में सर्प अधिक मिल रहे हैं। इसमें विषैले सर्प भी शामिल हैं। हमारे पास स्नैक कैचर नहीं है, इससे सांप को पकड़ने में परेशानी आती है। सपेरा को खोजना पड़ता है। जोखिम उठाकर सांपों को पकड़ा जाता है। – संजीव कुमार, प्रभारी वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, खगड़िया।

रसल वाइपर बहुत ही जहरीला सांप है। इसके काटने पर खून जम जाता है। जिससे फौरन मौत तक हो सकती है। – डा. मु. हुमायून अख्तर, विभागाध्यक्ष, जंतु विभाग, कोसी कालेज, खगड़िया।

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