बिहार के मधुबनी जिले में निगरानी विभाग की टीम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए जयनगर अंचल के सर्किल इंस्पेक्टर (सीआई) अजय कुमार मंडल को तीन लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी शनिवार, 24 मई 2025 को उनके निजी आवास से की गई। विजिलेंस टीम के मुताबिक, यह रिश्वत एक जमीन से जुड़े दाखिल-खारिज के मामले में मांगी गई थी। आरोपी सीआई पर कुल 20 लाख रुपये की डिमांड का आरोप है, जिसमें से तीन लाख रुपये की पहली किस्त के रूप में ली जा रही थी।

निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, पटना की टीम को इस मामले में एक लिखित शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें स्पष्ट रूप से आरोप लगाया गया था कि अजय कुमार मंडल ने दाखिल-खारिज की प्रक्रिया को तेजी से कराने के लिए भारी-भरकम घूस की मांग की थी। शिकायत की सत्यता की जांच के बाद निगरानी विभाग की टीम ने जाल बिछाया और पूर्व निर्धारित योजना के तहत अजय मंडल को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया।

निगरानी डीएसपी सुजीत कुमार सागर ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा, “हमें एक व्यक्ति की ओर से शिकायत मिली थी कि अंचल निरीक्षक अजय मंडल ने जमीन के दाखिल-खारिज के कार्य के लिए 20 लाख रुपये की मांग की थी। सत्यापन में यह बात सही पाई गई, जिसके बाद आज 24 मई को उन्हें तीन लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए उनके आवास से गिरफ्तार किया गया है।” उन्होंने यह भी बताया कि आरोपी के खिलाफ साक्ष्य इकट्ठा किए जा चुके हैं और उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत जेल भेजने की तैयारी की जा रही है।

इस कार्रवाई के बाद जयनगर अंचल कार्यालय में हड़कंप मच गया है। कार्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय यही मामला बना हुआ है। इससे पहले भी बिहार में भ्रष्टाचार के मामलों में निगरानी विभाग ने कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन इस बार रिश्वत की रकम इतनी बड़ी है कि यह मामला राज्य स्तर पर सुर्खियों में आ गया है।

निगरानी विभाग को संदेह है कि इस रिश्वतखोरी में केवल सीआई अजय मंडल ही नहीं, बल्कि अन्य वरीय अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। डीएसपी सागर ने कहा, “20 लाख जैसी भारी रकम की डिमांड केवल एक व्यक्ति के स्तर से संभव नहीं लगती। हमें शक है कि लैंड डील से जुड़े कुछ और बड़े अधिकारी भी इस मामले में शामिल हो सकते हैं। आरोपी से पूछताछ के आधार पर आगे की कड़ी जोड़ी जाएगी और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

इस घटनाक्रम ने एक बार फिर से सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार और जनसेवकों की मानसिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां आम लोग अपने वाजिब काम के लिए महीनों चक्कर काटते हैं, वहीं अधिकारियों द्वारा इस तरह की घूसखोरी का खेल जनता के भरोसे को ठेस पहुंचाता है। इस कार्रवाई के बाद आम जनता में निगरानी विभाग के प्रति कुछ हद तक विश्वास बढ़ा है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि सिर्फ एक गिरफ्तारी से सिस्टम नहीं सुधरेगा, बल्कि निरंतर निगरानी और कड़ी कार्रवाई ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगा सकती है।

फिलहाल आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की गहन जांच जारी है। यह देखना बाकी है कि इस कड़ी से और किन-किन बड़े नामों का खुलासा होता है और क्या यह कार्रवाई एक उदाहरण बनकर सिस्टम में सुधार ला पाएगी।

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