9 सितंबर से व्यापारियों का अनिश्चितकालीन बाजार बंद का ऐलान
सहरसा :
सहरसा जिले का बहुप्रतीक्षित **बंगाली बाजार रेल ओवरब्रिज** अब फिर से विवादों में है। पिछले 30 वर्षों से यह पुल केवल कागजों और शिलान्यासों तक सीमित है। अब तक पांच बार इसका शिलान्यास हो चुका है, लेकिन निर्माण कार्य आज तक शुरू नहीं हो पाया। वहीं जब सरकार ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया और रेलवे यार्ड रिमॉडलिंग का काम तेज किया है, तो स्थानीय व्यापारी आंदोलन के रास्ते पर उतर आए हैं।
व्यापारियों का आरोप है कि सरकार और रेलवे द्वारा प्रस्तावित **212 मीटर आगे ओवरब्रिज बनाने की योजना** एक अस्थाई समाधान है। उनका कहना है कि यह पुल भविष्य में स्थायी राहत नहीं दे पाएगा। जैसे ही रेलवे प्लेटफॉर्म का विस्तार होगा या नई लाइन का निर्माण होगा, यह मार्ग बाधित हो जाएगा। ऐसे में जनता को फिर से जाम और परेशानी का सामना करना पड़ेगा। व्यापारी चाहते हैं कि पुल मौजूदा स्थान पर बने ताकि आने वाले वर्षों तक यह समस्या स्थायी रूप से खत्म हो सके।
### आंदोलन का ऐलान
इसी असंतोष के बीच व्यापारियों ने 9 सितंबर से **अनिश्चितकालीन बाजार बंद** का आह्वान किया है। व्यापारियों का कहना है कि सरकार जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। यदि पुल बनाना ही है तो स्थायी समाधान पर काम होना चाहिए। बार-बार अस्थाई व्यवस्थाओं से केवल जनता को बरगलाया जा रहा है।
### जनता की नाराजगी और उम्मीद
स्थानीय नागरिकों का भी कहना है कि ओवरब्रिज का निर्माण शहर की यातायात व्यवस्था और जनसुविधा के लिए बेहद जरूरी है। रेलवे ढाले पर दिन-रात जाम की स्थिति रहती है। स्कूली बच्चे, मरीज और यात्री घंटों तक फंसे रहते हैं। लोगों का मानना है कि जब भी सरकार अधिग्रहण करेगी तो कुछ जमीन तो लेना ही होगा, ऐसे में **विरोध का बहाना बनाने से बेहतर है कि स्थायी समाधान निकाला जाए।**
### अधूरे वादों से उपजी निराशा
पिछले तीन दशकों से जनता केवल घोषणाएं और शिलान्यास देख रही है। हर चुनाव और हर सरकार में इस पुल का जिक्र होता है, लेकिन हकीकत में काम आज तक शुरू नहीं हो पाया। जनता अब प्रशासन और सरकार दोनों से ठोस कार्रवाई की उम्मीद कर रही है।
### प्रशासन के लिए चुनौती
व्यापारियों के आंदोलन और जनता की नाराजगी ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। सवाल यह है कि क्या इस बार दशकों से अधूरा पड़ा यह सपना सच होगा या फिर यह पुल केवल राजनीति का मुद्दा बनकर रह जाएगा?
फिलहाल सबकी नजरें 9 सितंबर से शुरू हो रहे आंदोलन और प्रशासन की अगली रणनीति पर टिकी हैं।