बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण स्तर में सुधार लाने की दिशा में मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना निदेशालय ने एक और महत्त्वपूर्ण पहल की है। हाल ही में जारी किए गए निर्देशों के तहत अब यह अनिवार्य कर दिया गया है कि स्कूलों में परोसे जाने वाले मध्याह्न भोजन में हरी साग-सब्जियों को अवश्य शामिल किया जाए। यह निर्णय बच्चों के शारीरिक विकास, संपूर्ण स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

डीपीओ एमडीएम आनंद विजय ने जानकारी दी कि इस संशोधित व्यवस्था के तहत सप्ताह के तीन दिन—सोमवार, गुरुवार और शनिवार को हरी साग-सब्जियों को भोजन में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना आवश्यक होगा। यह कदम बच्चों को नियमित रूप से आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इसके लिए प्रति बच्चा निर्धारित मानकों के अनुसार हरी सब्जियों, खाद्यान्न और मसालों की मात्रा तय की गई है, जिससे पोषण संतुलित बना रहे।

नई व्यवस्था में यह भी निर्देशित किया गया है कि स्कूल स्थानीय स्तर पर मौसम के अनुसार उपलब्ध हरी साग-सब्जियों का ही उपयोग करें। इससे न केवल बच्चों को ताजी और पौष्टिक सब्जियां मिलेंगी, बल्कि स्थानीय किसानों को भी आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा। प्रस्तावित हरी सब्जियों की सूची में धनिया पत्ता, सहजन या सहजन पत्ता, नेनुआ, बोरो, परवल, भिंडी, सीम और बीन्स जैसी सब्जियां शामिल हैं। यह सूची स्थानीय विविधता और पोषण मूल्यों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।

हालांकि, कद्दू (लौकी) के उपयोग को लेकर विशेष निर्देश दिए गए हैं। कद्दू को मुख्य सब्जी के रूप में नहीं परोसा जाएगा, बल्कि उसे केवल अतिरिक्त सब्जी के रूप में शामिल किया जा सकेगा। इसका उद्देश्य भोजन में विविधता बनाए रखना और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियों को शामिल करना है।

शिक्षा विभाग और एमडीएम निदेशालय इस दिशा में पूरी गंभीरता से काम कर रहे हैं। स्कूलों और संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि यह नया निर्देश प्रभावी ढंग से लागू हो। निर्देशों का अनुपालन न होने की स्थिति में आवश्यक कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार बच्चों की सेहत और भविष्य को लेकर पूरी तरह संजीदा है। संतुलित, पौष्टिक और विविधतापूर्ण भोजन से बच्चों में कुपोषण की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी और वे शारीरिक व मानसिक रूप से अधिक सक्षम बन सकेंगे।

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