सभी स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चे प्रतिदिन एक घंटे बोलकर पाठ पढ़ने का अभ्यास करेंगे। इसी तरह से हर दिन बेसिक गणित एवं गणित के प्रश्नों को त्वरित गति से हल करना अनिवार्य रूप से सिखाया जाएगा। इसको लेकर शिक्षा विभाग ने मंगलवार को राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश जारी किया है।
विभाग ने जारी आदेश में कहा है कि सभी स्कूलों में बच्चे बेसिक गणित और गणित के प्रश्नों का हल करना प्रतिदिन एक घंटी में सीखेंगे। वहीं, प्रतिदिन दूसरी घंटी में एक घंटे हर बच्चे को पाठ्यपुस्तक बोलकर पढ़ना सिखाया जाएगा। प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि वर्ग शिक्षक इसके लिए जिम्मेदार होंगे, जो कक्षा के प्रत्येक बच्चे से पाठ पढ़वाएंगे और गणित का प्रश्न हल कराएंगे। पाठ पढ़ने और गणित बनाने की क्षमता का साप्ताहिक मूल्यांकन हर सोमवार को वर्ग शिक्षक करेंगे। पहली घंटी में पाठ पढ़ना और दूसरी घंटी में गणित की जांच होगी। वर्ग शिक्षक रविवार के लिए होमवर्क देंगे, ताकि वे सोमवार को जांच के लिए तैयारी कर सकें।
फिलहाल वर्ग शिक्षक तैयार करेंगे टेस्ट पेपर
विभाग ने कहा है कि राज्य के एक हजार स्कूलों के वर्ग तीन, पांच और आठ के 25 हजार छात्रों की परीक्षा ली गई, जिसमें पाया गया कि पाठ्य-पुस्तक को धारा प्रवाह पढ़ने एवं जोड़, घटाव, गुणा एवं भाग के प्रश्न को सही-सही हल करने में और अभ्यास की जरूरत है। राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद के परामर्श से टेस्ट पेपर तैयार कराया जाएगा। टेस्ट पेपर उपलब्ध कराने की प्रतीक्षा नहीं की जाएगी। तब तक वर्ग शिक्षक अपने स्तर से टेस्ट पेपर तैयार करेंगे। जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश है कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र के शेष 100 दिनों में अभियान के तौर पर उक्त कार्रवाई सुनिश्चित करें।
शिक्षा विभाग ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की है कि कुछ स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति की फर्जी संख्या दिखायी जा रही है। कई ऐसे स्कूल हैं, जहां बड़ी संख्या में विद्यार्थी नामांकित हैं, पर उनकी उपस्थिति काफी कम रहती है।
इस बाबत विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने मंगलवार को लिखे पत्र में जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीईओ) को चेतावनी दी है इसमें सुधार करें, नहीं तो आगे से ऐसी रिपोर्ट मिलने पर आप पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने लिखा है कि कुछ लोगों को गांवों के स्कूलों के निरीक्षण के लिए भेजा गया था। ये सभी विभिन्न गांवों में एक महीने रह कर स्कूलों के संचालन के संबंध में मुझे रिपोर्ट दी है। इसमें साफ बताया गया है कि कुछ समर्पित शिक्षकों के प्रयास से स्कूलों में सुधार आया है, वहीं कुछ लापरवाह शिक्षक भी हैं।