पटना जिले में 21 सौ प्राथमिक स्कूल (एक से पांचवीं तक) और एक हजार मध्य विद्यालय (छठी से आठवीं तक) हैं। इनमें लगभग 40 लाख बच्चे नामांकित हैं। हालांकि अभी तक एक भी बच्चे को किताब नहीं मिली है।
इस बार शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को किताबें छपवा कर देने की घोषणा हुई थी। नई किताबों को एससीईआरटी द्वारा तैयार भी किया गया। सूत्रों की मानें तो डीईओ कार्यालय से सभी स्कूलों को बच्चे के नामांकन के अनुसार किताबें बांटी जाएंगी
अधिकतर जिलों में पुस्तकें मुख्यालय से नहीं पहुंची हैं
मुजफ्फरपुर में पहली से आठवीं तक की कक्षा में 600000 बच्चे नामांकित हैं। इनमें अब तक केवल पांचवीं कक्षा के बच्चों को सभी किताबें मिल पाई हैं। दरभंगा जिले किसी भी कक्षा के बच्चों को अब तक किताबें नहीं मिली हैं। जिला शिक्षा विभाग के अनुसार, कक्षा पांच के लिए एक-दो विषयों की पुस्तकें आयी हैं। मधुबनी में पहली से आठवीं कक्षा तक करीब सात लाख 89 हजार बच्चे नामांकित हैं। इनमें करीब एक लाख बच्चों को जिले में उपलब्ध किताब बैंक से पुस्तकें दी गई हैं। सीतामढ़ी जिले में शैक्षणिक सत्र 2023-24 के बच्चों के लिए किताबें अब तक नही पहुंची हैं। विभागीय अधिकारी के अनुसार एक सप्ताह में किताब स्कूल को उपलब्ध करा दी जाएगी।
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो गयी है, लेकिन बच्चों को किताबें नहीं मिली है। वर्ष 2023-24 का शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन बच्चों ने बगैर किताबों के ही अपनी पढ़ाई शुरू की है। किताब नहीं होने के कारण एक ओर जहां बच्चों को पढ़ने में परेशानी हो रही है, वहीं शिक्षक भी ढंग से पढ़ा नहीं पा रहे। उधर, सरकार का दावा है कि अप्रैल के अंत तक सरकारी विद्यालयों के बच्चों को किताबें मिल जाएंगी।
शिक्षा विभाग ने इसके लिए कसरत शुरू कर दी है। फिलहाल 40 से 50 फीसदी किताबें जिलों में पहुंच चुकी हैं। सभी जिलों में पुस्तक भेजने की प्रक्रिया चल रही है। इनका वितरण 11 से 15 अप्रैल के बीच किया जाएगा। ऐसे जो किताबें पहले पहुंची हैं वे भी वितरित की जाएंगी। फरवरी में ही 13 जिलों में वर्ग 2 से 6 तक के बच्चों के लिए किताबें भेजी गयी हैं।शिक्षा विभाग इस साल बच्चों को किताबें उपलब्ध करा रहा है। पिछले वर्ष तक बच्चों को किताबों के बदले पैसे दिये जा रहे थे। इसका परिणाम सकारात्मक नहीं आया। अधिसंख्य बच्चों ने पैसा मिलने के बाद भी पुस्तक नहीं खरीदीं। ऐसे में सरकार ने पैसे की बजाए फिर से बच्चों को पाठ्य पुस्तक ही उपलब्ध कराने का निर्णय लिया। इसके तहत पौने दो करोड़ बच्चों को किताब देनी है। पाठ्य पुस्तक निगम ने दिसंबर 2022 में 27 मुद्रकों को लगभग 9 करोड़ पुस्तकों की छपाई व वितरण का कार्य सौंपा। बाद में मुद्रकों की संख्या 30 हो गयी। पुस्तक बांटने पर अनुमानित 400 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
पिछले दिनों विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने पाठ्य पुस्तक मामले की समीक्षा की। इसमें कटिहार और पूर्णिया की स्थिति संतोषजनक नहीं थी। अन्य जिलों में चरणबद्ध तरीके से पुस्तकें पहुंच रही हैं। हालांकि उन्होंने संबंधित अधिकारियों को तत्काल इस पर गंभीरता से काम करने को कहा। इसी क्रम में अप्रैल अंत तक की समय सीमा तय की गयी। संपूर्ण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और इनके क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग के लिए एक पोर्टल विकसित किया गया है। इसमें जहां-जहां किताबें जा रही हैं, उसकी पूरी जानकारी उपलब्ध रहती है। विभाग इस आधार पर निगरानी कर रहा है।
पांच वर्षों के बाद फिर किताबें दी जा रहीं
राज्य सरकार ने पांच वर्षों के बाद बच्चों को फिर से पाठ्य पुस्तक देने का निर्णय लिया और योजना पर काम शुरू किया। वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने वर्ग 1-8 तक के बच्चों को किताब के बदले पैसे देना शुरू किया था। इसके तहत 1-4 तक के बच्चों को 250 जबकि 5 से 8 के बच्चों को 400 रुपये दिये गये। लेकिन, इसका परिणाम और खराब आया। पिछले चार वर्षों में अधिकतम 30-35 फीसदी बच्चों ने ही किताबें खरीदीं। पहले साल 13 फीसदी, दूसरे साल 19, तीसरे साल 11 फीसदी बच्चों ने किताबें खरीदीं। जबकि, इस दौरान बच्चों के खाते में 1600 करोड़ भेजे गए। इसीलिए योजना में बदलाव किया गया है।