बिहार सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना के तहत प्रदेश की 19.79 लाख बीपीएल परिवारों की बेटियों को उनके 18 वर्ष की आयु पूरी होने पर बॉन्ड की परिपक्वता राशि का लाभ मिलेगा। यह राशि सीधे लाभार्थी कन्याओं के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी, जिससे न केवल प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी, बल्कि इससे लाभार्थियों को समय पर भुगतान भी सुनिश्चित हो सकेगा।
योजना की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
यह योजना वर्ष 2008 में बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य बीपीएल परिवारों में जन्मी बालिकाओं को आर्थिक सहायता प्रदान कर उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देना है। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2008 से 2012 और पुनः वर्ष 2018 तक 0 से 3 वर्ष आयु वर्ग की कन्याओं के नाम पर ₹2000 का बॉन्ड जारी किया गया था। अब जब ये बालिकाएं 18 वर्ष की हो चुकी हैं, तो उन्हें इस बॉन्ड की परिपक्वता राशि प्रदान की जाएगी।
प्रशासनिक निर्णय और प्रक्रिया
समाज कल्याण विभाग द्वारा हाल ही में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में इस योजना की राशि के वितरण की प्रक्रिया पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता विभागीय सचिव एवं महिला एवं बाल विकास निगम की प्रबंध निदेशक वंदना प्रेयसी ने की। इसमें यूटीआई के क्षेत्रीय प्रमुख सोमनाथ घोष सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
वंदना प्रेयसी ने निर्देश दिया कि भुगतान प्रक्रिया को लाभार्थियों के लिए सरल, पारदर्शी और सुविधाजनक बनाया जाए। इसके लिए लाभार्थी बालिकाओं को अपने निकटवर्ती आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर सर्वे प्रपत्र भरना होगा। साथ ही, उन्हें आवश्यक दस्तावेज जैसे बॉन्ड सर्टिफिकेट और पहचान पत्र प्रस्तुत कर सत्यापन कराना होगा।
डिजिटल माध्यम से सीधा लाभ
समाज कल्याण विभाग ने जानकारी दी है कि सत्यापित सूचनाओं के आधार पर यूटीआई चिल्ड्रेन बैलेंस फंड की परिपक्वता राशि सीधे लाभार्थी कन्याओं के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। इससे योजना की पारदर्शिता और प्रभावशीलता में वृद्धि होगी और भ्रष्टाचार की संभावना नगण्य हो जाएगी।
समाज के लिए बड़ा संदेश
यह योजना बिहार सरकार के उस दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसके अंतर्गत बेटियों को समान अवसर और सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना न केवल आर्थिक मदद का जरिया है, बल्कि यह समाज में बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच को भी बल देती है।
इस योजना से न सिर्फ लाभार्थी बालिकाओं को आर्थिक संबल मिलेगा, बल्कि इससे समाज में बेटियों की स्थिति को सशक्त बनाने में भी मदद मिलेगी।