मिट्टी से ईंट बनाने वाले भट्ठों पर प्रतिबंध लगाने से पहले सरकार फूंक-फूंककर कदम रख रही है। केंद्र सरकार की अधिसूचना को राज्य में लागू करने से पहले राज्य सरकार पर्यावरण और कानूनी विशेषज्ञों तथा विकास संबंधी मामलों के जानकारों की राय लेगी। इसके बाद ही इसे पूरी तरह से लागू करने के लिए नीतिगत या नियामकीय बदलाव जैसे कदम उठाएगी। ज्ञात हो कि भारत सरकार ने कोयले पर चलने वाले ताप विद्युत संयंत्रों के चारों ओर तीन सौ किलोमीटर के दायरे में मिट्टी से बनने वाले ईंट भट्ठों पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की है।

इस दायरे में केवल फ्लाई ऐश से ही ईंट का निर्माण होगा। राज्य का लगभग पूरा इलाका इसके तहत आएगा। राज्य सरकार की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अचानक ईंट भट्ठों पर रोक लगाने से विकास कार्य ठप हो सकते हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को ग्रहण लग सकता है। यहां तक कि निजी मकानों का निर्माण कार्य भी एकदम से रुक जाएगा। इसलिए सरकार फ्लाई ऐश की सहज आपूर्ति सुनिश्चित किए बिना इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाना चाहती है। खान एवं भूतत्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रक्रिया को चरणवार लागू किया जाएगा। ताकि कुछ समय तक लोगों के लिए लाल ईंट की उपलब्धता भी बनी रहे। इस पर आधारित लोगों का रोजगार संकट भी पैदा नहीं हो।

थर्मल पावर परिसर से ईंट बनाने के लिए फ्लाई ऐश की आपूर्ति का अभी तक कोई मैकेनिज्म विकसित नहीं हुआ है● लोगों की धारणा है कि लाल ईंट ही मजबूत होता है। फ्लाई ऐश से बनने वाली ईंट उतनी मजबूत नहीं होती है

खान मंत्री जनक राम ने कहा, ”मिट्टी से ईंट निर्माण की जगह फ्लाई ऐश से ईंट निर्माण को चरणवार लागू किया जाएगा। इसके सभी पलहुओं पर विचार-विमर्श करने के बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा। विशेषज्ञों से भी राय ली जाएगी। अचानक कदम उठाने से विकास प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।”

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