नवगछिया। सरकार भले ही किसानों को उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता का दावा कर रही हो, लेकिन खरीक प्रखंड में यह दावा पूरी तरह फेल साबित हो रहा है। इस समय किसानों को गेहूं, मक्का, केला और अन्य फसलों में खाद डालने की अत्यधिक आवश्यकता है, लेकिन यहां बाजार में यूरिया और डीएपी जैसे आवश्यक उर्वरक मनमाने दाम पर बेचे जा रहे हैं।

खरीक में यूरिया पांच सौ रुपये प्रति बोरी और डीएपी 17 से 18 सौ रुपये में बेची जा रही है, जबकि इनके सरकारी निर्धारित मूल्य क्रमशः 267 रुपये और 1350 रुपये हैं। मजबूरी में गरीब और मध्यमवर्गीय किसान इन ऊंचे दामों पर खाद खरीदने को विवश हैं।

तेलघी के किसान धीरज राय, मुकेश मंडल, शंभू झा, पवन मंडल, मनीष सिंह, अरबिंद चौधरी, बंगटू सिंह सहित कई किसानों ने बताया कि खाद का मुख्य समय होने के कारण वे मन मारकर महंगे दामों पर खरीदारी कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि एमओपी, एनपीके तथा अन्य उर्वरक भी यहां निर्धारित मूल्य से काफी अधिक दामों पर उपलब्ध हैं। दाम कम करने की बात कहने पर दुकानदार खाद देने से ही इनकार कर देते हैं।

किसानों ने यह भी खुलासा किया कि कई दुकानदार बिना वैध लाइसेंस के ही खुलेआम खाद की बिक्री कर रहे हैं और स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों का रवैया भी उदासीन बना हुआ है। इससे क्षेत्र में कालाबाज़ारी को और बढ़ावा मिल रहा है।

मिली जानकारी के अनुसार, बढ़ती मनमानी से परेशान किसान अब संबंधित मंत्री से मिलने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, प्रखंड विकास पदाधिकारी मोना कुमारी सोनी ने बताया कि इस संबंध में किसान द्वारा अभी तक कोई औपचारिक आवेदन नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं जांच कर दोषी दुकानदारों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करेंगी।

कुल मिलाकर, खरीक में उर्वरक संकट और बढ़ती कालाबाज़ारी ने किसानों की परेशानियों में भारी इजाफा कर दिया है, और प्रशासनिक हस्तक्षेप की तात्कालिक आवश्यकता महसूस की जा रही है।

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