जमाने बाद भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय टीम यानि पदाधिकारियों की सूची में बहुत ढूंढ़ने पर बिहार के सिर्फ एक नेता का नाम नजर आ रहा है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज अपनी नये कमेटी का एलान किया है. 38 पदाधिकारियों को बिहार जैसे बड़े राज्य से सिर्फ एक सचिव बनाया गया है. इससे पहले की टीम में उपाध्यक्ष रहे राधामोहन सिंह की छुट्टी कर दी गयी है. बिहार उन राज्यों में शामिल है, जहां बीजेपी खुद को मजबूत मानती है. फिर भी राष्ट्रीय कमेटी में बिहार को साइडलाइन कर दिये जाने से चर्चाओं का बाजार गर्म है.
बता दें कि बीजेपी ने आज अपनी नयी टीम का एलान किया है. इसमें कुल 38 पदाधिकारी बनाये गये हैं. रमन सिंह, वसुंधरा राजे, रघुवर दास, सौदान सिंह, बैजयंत पांडा, सरोज पांडेय, रेखा वर्मा, डी.के. अरूणा, एम. चौबा एओ, अब्दुल्ला कुट्टी, लक्ष्मीकांत बाजपाई, लता उसेडी, तारिक मंसूर को उपाध्यक्ष बनाया गया है, अरूण सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, दुष्यंत कुमार गौतम, तरूण चुग, विनोद तावड़े, सुनील बंसल, संजय बेदी औऱ राधामोहन अग्रवाल महामंत्री बनाये गये है. कुल 38 पदाधिकारियों में 7 उत्तर प्रदेश के हैं. छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य से तीन पदाधिकारी बनाये गये हैं तो मध्य प्रदेश से भी तीन पदाधिकारी है. झारखंड जैसे छोटे राज्य से भी दो पदाधिकारी हैं. लेकिन बिहार से सिर्फ एक.
बिहार के दिग्गजों की पारी खत्म
जेपी नड्डा की नयी टीम ने बिहार को लेकर कई संकेत दिये हैं. सबसे बड़ा संकेत ये है कि कई दशकों तक बिहार बीजेपी के दिग्गजों में शुमार किये जाने वाले राधामोहन सिंह की सियासी पारी खत्म होने वाली है. राधामोहन सिंह इससे पहल की टीम में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे. वे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के संगठन प्रभारी थे. लेकिन इस बार उन्हें साफ कर दिया गया है. बीजेपी के अंदरखाने में चर्चा ये हो रही है कि राधामोहन सिंह की सियासी पारी खत्म हो गयी है. उन्हें पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाया गया था. फिर संगठन से भी छुट्टी कर दी गयी.
बीजेपी सूत्र बताते हैं कि अगला नंबर उनकी सांसदी जाने का है. ये लगभग तय हो गया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में राधामोहन सिंह का टिकट कटेगा. वैसे भी उनकी उम्र 70 साल से ज्यादा हो चुकी है. मोदी-शाह की जोड़ी ने पहले ही 70 साल से ज्यादा उम्र वालों को सियासी वनवास देने का फैसला कर रखा है. राधामोहन सिंह का इस फार्मूले के तहत लोकसभा चुनाव में पत्ता कटना तय माना जा रहा है.
रविशंकर से लेकर सुशील मोदी को भी संकेत
बीजेपी ने इस दफे 13 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और 8 राष्ट्रीय महामंत्री बनाये हैं. इसमें सिर्फ राधामोहन सिंह का नाम ही गायब नहीं हुआ है बल्कि रविशंकर प्रसाद से लेकर सुशील मोदी जैसे नेताओं का नाम भी नजर नहीं आ रहा है. बिहार के इन नेताओं की राष्ट्रीय छवि रही है. पार्टी ने रमन सिंह, वसुंधरा राजे, रघुवर दास जैसे अपने पुराने नेताओं को इस दफे उपाध्यक्ष बनाया है लेकिन बिहार के नेताओं को जगह नहीं मिली. चर्चा यही हो रही है कि रविशंकर प्रसाद और सुशील मोदी को भी धीरे-धीरे राजनीतिक वनवास देने का सिलसिला शुरू हो गया है.
वैसे रविशंकर प्रसाद को लेकर तो तब से ही तरह-तरह की चर्चायें हो रही हैं, जब से उनकी केंद्रीय मंत्रिमंडल से छुट्टी हुई थी. वे केंद्र में कई मंत्रालयों के मंत्री हुआ करते थे लेकिन एक झटके में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा गया था. उधर, सुशील मोदी को बीजेपी का मौजूदा नेतृत्व पहले से ही पसंद नहीं करता रहा है. लेकिन सुशील मोदी अपने दम पर बिहार में नीतीश-तेजस्वी का जिस तरह से काउंटर करते रहे हैं, वैसा करने वाले बीजेपी में कोई दूसरा नेता नहीं मिल रहा. लिहाजा बिहार की सियासत में सुशील मोदी बीजेपी के लिए मजबूरी बने हुए हैं. लेकिन पार्टी उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कोई जगह देने को तैयार नहीं है.
रितुराज को कैसे मिली जगह
बीजेपी की राष्ट्रीय कमेटी में बिहार के एकमात्र प्रतिनिधि रितुराज सिन्हा हैं. उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है. वे पिछली कमेटी में भी इसी पद पर थे. रितुराज सिन्हा नरेंद्र मोदी-अमित शाह की पसंद बताये जाते हैं. एक तो वे युवा हैं, दूसरी बात ये भी है वे कायस्थ समाज से आते हैं. रविशंकर प्रसाद को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाये जाने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार में बिहार से कायस्थ जाति का कोई मंत्री नहीं है. जबकि कायस्थ वोटर बीजेपी के हार्डकोर समर्थक माने जाते रहे हैं. ऐसे में रितुराज सिन्हा को बिहार के कायस्थों का नुमाइंदे के तौर पर राष्ट्रीय कमेटी में शामिल किया गया है.
बीजेपी के अंदरखाने चर्चा ये भी है कि रितुराज सिन्हा अगले लोकसभा चुनाव में पटना साहिब सीट से प्रबल दावेदार हैं. रविशंकर प्रसाद की सियासी पारी खत्म होने के पूरे आसार हैं और ऐसे में रितुराज सिन्हा सबसे प्रबल दावेदार बन सकते हैं. हालांकि दावेदारों की सूची में विधायक नितिन नवीन का नाम भी शामिल है. लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम में पहले शामिल रह चुके नितिन नवीन को पार्टी का नेतृत्व कम तवज्जो देता दिख रहा है. जबकि रितुराज राष्ट्रीय सचिव होने के साथ पार्टी की कई अहम जिम्मेवारी
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