बांझपन के हैं कई कारण
विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार में पशुओं को संतुलित आहार, हरा चारा नहीं मिलने के कारण प्राय बाछी या पाड़ी में जननांग का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है।
यही कारण है कि बार-बार कृत्रिम गर्भाधान करने पर भी समय पर गर्भाधारण नहीं कर पाती है।
इसके अलावा आंतरिक एवं बाह्य परजीवी से ग्रसित होने के कारण भी शारीरिक वृद्धि में विलंब होता है। रक्त की कमी के कारण भी पशुओं की गर्भधारण क्षमता प्रभावित होती है।
कृत्रिम गर्भाधारण के लिए सही समय पर हीट की पहचान की जानकारी नहीं होने के कारण भी समस्या होती है। राज्य के पशुपालकों को इस बारे में जागरूक किया जाना जरूरी है।
संतुलित आहार नहीं मिलने से पशुओं में बांझपन की समस्या हो रही है। बिहार के सभी इलाकों में यह समस्या देखने में आ रही है। इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
इस समस्या के निदान में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग जुट गया है।
बांझपन के इलाज और जागरूकता के लिए राज्यभर में शिविर लगाने का निर्णय लिया है। राज्य के 1137 पशु चिकित्सालयों और औषधालयों की ओर से यह शिविर लगाए जाएंगे।
बिहार लाइवस्टॉक डेवलपमेंट एजेंसी (बीएलडीए) को इसकी जिम्मेवारी दी गई है। एक शिविर में इलाज पर दस हजार रुपये और जागरूकता पर पांच हजार रुपये खर्च किए जाएंगे।
विभाग के विशेष सचिव हिमांशु कुमार राय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में शिविर के लिए तीन करोड़ 41 लाख रुपये जारी किए गए हैं।
सात निश्चय-2 के तहत शिविर का आयोजन किया जाएगा। राज्य में नस्ल सुधार कार्यक्रम पहले से चल रहा है। इसी के तहत पशुओं में बांझपन की समस्या को भी दूर करने के उपाय किए जा रहे हैं।
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