फरक्का और कहलगांव की सरेंडर की गयी तीन उत्पादन इकाइयों से बिहार 159 मेगावाट बिजली लेगा।

ऊर्जा मंत्रालय की पूर्वी क्षेत्र विद्युत समिति (ईआरपीसी) के आदेश पर बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने मुहर लगाते हुए बिजली कंपनियों को खरीद की मंजूरी दे दी है।

यह बिजली सीईआरसी (केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग) द्वारा पहले से अनुमोदित दर पर उपलब्ध होगी।

बिहार विद्युत विनियामक आयोग के सदस्य (तकनीकी) अरुण सिन्हा और सदस्य (विधि) पीएस यादव की बेंच ने इससे जुड़ी बिजली कंपनियों की याचिका पर निर्णय देते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को फरक्का के स्टेज वन और स्टेज टू इकाई से 107.751 मेगावाट और एनटीपीसी की कहलगांव इकाई से 51.520 मेगावाट 24 घंटे उपलब्ध करायी जायेगी।

बिजली कंपनी ने एक महीने पहले ही फरक्का की दो और कहलगांव की एक इकाई से करीब 850 बिजली मेगावाट सरेंडर की थी। इसको लेकर कंपनी ने तर्क दिया था कि यह तीनों इकाइयां काफी पुरानी हो चुकी है।

इसके एवज में उनके पास पर्याप्त मात्रा में सस्ती बिजली उपलब्ध है। लेकिन, देश के पूर्वी राज्यों की बिजली आपूर्ति नियंत्रित करने वाली संस्था ने बिहार की सरेंडर बिजली में से किसी अन्य राज्य को आवंटित नहीं हुई

159 मेगावाट बिजली पुन बिहार को उपलब्ध कराया है। इसके पीछे एनटीपीसी और बिहार सरकार के बीच हुआ समझौता है जिसमें सरेंडर की गयी अनावंटित बिजली संबंधित राज्य को ही उपयोग करना होता है।

याचिका में बिजली आपूर्ति कंपनियों ने बताया है कि बरौनी स्टेज वन में निर्मित 110-110 मेगावाट की दो इकाइयां पिछले 14 महीनों से अनुबंधित मात्रा का बहुत ही नगण्य प्रतिशत (लगभग पांच फीसदी) आपूर्ति कर रही हैं।

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