बिहार में जाति आधारित गणना का रिपोर्ट जारी कर दिया गया है। इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि किस वर्ग के लोगों की कितनी संख्या है और और कौन सा वर्ग उसे समुदाय में सबसे अधिक है। इस खबर के जरिए हम यह बताएंगे कि बिहार में सवर्ण समुदाय से आने वाले लोगों की संख्या कितनी है और इस समुदाय में सबसे अधिक संख्या किस जाति की है।
दरअसल, देश भर में सवर्ण की बात करें तो मुख्य रूप से इसमें कायस्थ (लाला), ब्राह्मण, भूमिहार,राजपूत को माना जाता है। इस समुदाय इस समुदाय की कुल जनसंख्या की बात करें तो बिहार सरकार के तरफ से उत्तर दिया गया है उसके मुताबिक बिहार में सामान्य वर्ग की कुल जनसंख्या 15.52% है।
वहीं, हम बात करें इस बारे में अलग-अलग जाति के लोगों की तो सबसे पहले हम बात करते हैं ब्राह्मण समुदाय की तो ब्राह्मण समुदाय की कुल जनसंख्या 4,78,12,80 है। अगर हम प्रतिशत की बात करें तो पूरे बिहार में 3.6575% ब्राह्मण का है। वहीं, बात करें भूमिहार जाति की तो भूमिहार जाति की बिहार में कुल जनसंख्या 3,75,08,86 संख्या है। इसमें भूमिहार की प्रतिशत की बात करें तो 2.8693% है। जबकि इस समुदाय के तीसरी जाति की बात करें तो राजपूत की कुल जनसंख्या 4,51,07,33 है और घर में इस जाति की कुल प्रतिशत की बात करें तो 3.4505% है।
वहीं, सबसे कम अगर जनसंख्या किसी समुदाय की है तो वह कायस्थ यानी लाल समुदाय के लोग है। इस समाज की कुल जनसंख्या महज 7,85,771है और समाज की कुल प्रतिशत की बात करें तो 0.6011% है। श्रावणों में सबसे कम जनसंख्या इसी समुदाय की बताई जा रही है। यह बिहार जाति आधारित गणना 2022 के जरिए बताई गई है। बिहार में अनारक्षित वर्ग की कुल जनसंख्या 2,02,91,679 है और साथ में बात करें तो 15.5224% है।
आपको बताते चलें कि, बिहार में जाति जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। लंबे विवाद के बाद यह जनगणना कराई गई थी, जिसके आंकड़े अब सामने आए हैं। इसके मुताबिक राज्य में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.1 फीसदी है, जबकि पिछड़ा की आबादी 27.12 फीसदी है। दोनों को मिलाकर देखें तो साफ है कि कुल पिछड़ा वर्ग की आबादी 63 फीसदी से ज्यादा है। जो राज्य में किसी भी सामाजिक समूह के मुकाबले सबसे अधिक संख्या है। इस रिपोर्ट को राज्य में पिछड़ा वर्ग की राजनीति के लिए एक नई शुरुआत के तौर पर भी देखा जा रहा है।