बिहार में बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में बड़ी सौगात मिली है। केंद्र सरकार ने राज्य में दो अहम परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिससे न केवल औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी बल्कि रोजगार और संपर्कता के नए अवसर भी खुलेंगे।
पहली बड़ी परियोजना है **बक्सर-भागलपुर हाई-स्पीड कॉरिडोर के मोकामा-मुंगेर खंड का निर्माण**। इस खंड की कुल लंबाई 82.4 किलोमीटर होगी और इसे हाइब्रिड एन्युइटी मोड (HAM) पर विकसित किया जाएगा। इस परियोजना की लागत लगभग 4,447.38 करोड़ रुपये आंकी गई है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह कॉरिडोर मोकामा, बड़हिया, लखीसराय, जमालपुर और मुंगेर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रीय शहरों से होकर गुजरेगा और इन्हें भागलपुर से जोड़ेगा।
मंत्री ने कहा कि पूर्वी बिहार का मुंगेर-जमालपुर-भागलपुर बेल्ट तेजी से एक इंडस्ट्रियल हब के रूप में उभर रहा है। यहां रक्षा उद्योग के लिए आयुध कारखाने, जमालपुर का लोकोमोटिव वर्कशॉप, मुंगेर का आईटीसी फूड प्रोसेसिंग यूनिट और भागलपुर का सिल्क उद्योग पहले से मौजूद है। इसके अलावा बड़हिया में फूड पैकेजिंग और कृषि-गोदाम केंद्र भी विकसित हो रहे हैं। ऐसे में हाई-स्पीड कॉरिडोर बनने से यातायात और माल ढुलाई में भारी वृद्धि होगी।
इस 4-लेन एक्सेस-कंट्रोल कॉरिडोर को 100 किलोमीटर प्रति घंटे की डिजाइन स्पीड से तैयार किया जाएगा। इससे वाहनों की औसत गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे तक होगी और कुल यात्रा समय लगभग डेढ़ घंटे कम हो जाएगा। यह न केवल यात्रियों बल्कि मालवाहक वाहनों को भी तेज, सुरक्षित और निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। परियोजना के दौरान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन होगा। साथ ही आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों में भी इजाफा होगा।
दूसरी बड़ी परियोजना है **भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट सिंगल रेलवे लाइन सेक्शन के दोहरीकरण** की। यह रेलवे लाइन 177 किलोमीटर लंबी है और इसके विस्तार पर 3,169 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह परियोजना बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल तीन राज्यों में फैली होगी।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि रेलवे लाइन के दोहरीकरण से लाइन क्षमता में वृद्धि होगी और परिचालन में आसानी आएगी। इससे भीड़भाड़ कम होगी और भारतीय रेलवे की दक्षता और विश्वसनीयता बढ़ेगी। इस परियोजना से करीब 441 गांवों और 28.72 लाख की आबादी को लाभ मिलेगा। साथ ही बांका, गोड्डा और दुमका जैसे आकांक्षी जिलों में कनेक्टिविटी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
यह परियोजना धार्मिक और पर्यटन दृष्टिकोण से भी बेहद अहम है। इस रेलवे खंड से बाबा बैद्यनाथ धाम (देवघर) और तारापीठ (पश्चिम बंगाल) जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों तक आसान पहुंच हो सकेगी। इसके चलते देशभर से आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को बेहतर सुविधा मिलेगी।
कुल मिलाकर, इन दोनों परियोजनाओं से बिहार और आसपास के राज्यों में ढांचागत विकास, औद्योगिक वृद्धि, व्यापार और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। केंद्र सरकार का मानना है कि इन परियोजनाओं के पूरा होने से पूर्वी भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी और यह क्षेत्र देश के प्रमुख औद्योगिक व व्यापारिक हब के रूप में स्थापित होगा।
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