पटना क्षेत्र के अधिकतर थाने कबाड़ से भरे पड़े हैं। पुलिस और कर्मियों के बैठने के लिए भले ही जगह न हो, लेकिन कबाड़ को रखने और उसकी सुरक्षा करने की दोहरी जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई जाती है। इनमें से करीब 10 हजार वाहन पटना क्षेत्र के 75 थानों में हैं। खास बात यह है कि इ- नीलामी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से सिर्फ नई और कीमती कारों की ही नीलामी होती है। जबकि छोटे और पुराने वाहन जो सालों से रखे हुए हैं, आज भी उसी तरह सड़ते हैं।
शहरी थानों में करीब 1500 चौपहिया व 5500 दुपहिया वाहन
शहर के कोतवाली थाने के अपार्टमेंट भवनों में रहने वाले लोगों का कहना है कि जब्त वाहनों के कारण जगह-जगह गंदगी है। वहीं, जक्कनपुर, खजुल, राजीवनगर और कंकड़बाग जैसे कुछ थानों में जब्त की गई कारों के बाद स्थिति यह हो गई है कि वहां के पुलिसकर्मियों को भी आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि बुद्धा कॉलोनी और गांधी मैदान ट्रैफिक थाने समेत कई थानों की पुलिस ने अब जब्त वाहनों को उसी सड़क पर खड़ा कर दिया है। एक अनुमान के मुताबिक शहरी थानों में करीब 1,500 चौपहिया और 5,500 दोपहिया वाहन हैं। उनकी बैटरी से लेकर लाइट, टायर आदि सभी गायब और खराब हो गए।
अब एमएसटीसी के जिम्मे है निलामी की प्रक्रिया
प्रबंधन ने कम कीमतों पर पुराने दोपहिया और चार पहिया वाहनों के लिए नीलामी एजेंसी का चयन किया। इसी के तहत राज्य में शराब के साथ पकड़े गए वाहनों की इ- नीलामी करने के निर्देश जारी किए गए। इस इ- नीलामी को करने के लिए एक प्रबंधन उपक्रम मेटल स्क्रैप ट्रेड कॉरपोरेशन (MSTC) लिमिटेड द्वारा स्थापित किया गया है। छह महीने पहले पटना में इ-नीलामी प्रक्रिया का सफलपरीक्षण किया गया था। इसके बाद, विभाग ने पहले वाहनों को दस्ते मुख्यालय और अब सभी काउंटी में बेचने का निर्देश दिया। लेकिन सूत्रों की माने तो नीलामी प्रक्रिया में आम जनता से जीएसटी आदि का भी अनुरोध किया जाता है, जिससे वे नीलामी में भाग लेने से बचते हैं और लक्जरी वाहन खास लोगों तक पहुंचते हैं।
कुछ इस तरह से की जाति है वाहनों की निलामी की प्रक्रिया
नियमानुसार जब्त वाहन या लावारिस अवस्था में बरामद वाहनों को 6 माह बाद दावा न करने की स्थिति में उनके निस्तारण की प्रक्रिया की जाती है। वाहन के बरामद होने पर पुलिस सबसे पहले इसे धारा 102 के तहत पुलिस रजिस्ट्री में दर्ज करती है। यह जानकारी वाहन का पंचनामा करके अदालत में दी जाती है। उसके बाद पुलिस आरटीओ कार्यालय से कार के मालिक का नाम लेती है। वाहन मालिकों को नोटिस भेजा गया है। जब वाहनों का दावा नहीं किया जाता है, तो एमएसटीसी लिमिटेड डीलरशिप को नीलामी की जानकारी प्रदान करता है। वाहन नीलामी एजेंसी कराती हैं।नए नियम के अनुसार, शराबबंदी कानून के तहत डीएम को ही जब्त किए गए वाहनों को नीलामी में बेचने का अधिकार है। हालांकि एजेंसी ही उसकी नीलामी करती है।
कुछ इस तरह से की जाएगी जब्त वाहनों की इ-नीलामी
इ-नीलामी प्रक्रिया के लिए सबसे पहले जब्त वाहन का विवरण एमएसटीसी की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है। जो लोग इ- नीलामी में भाग लेना चाहते हैं, वे मोबाइल फोन नंबर और वन-टाइम पासवर्ड दर्ज करके अपना पंजीकरण कराते हैं। नीलामी में भाग लेने वाले लोग भी साइट पर जा सकते हैं और कार को देखकर संतुष्ट हो सकते हैं। इ-नीलामी निर्धारित तिथि एवं समय पर होगी। इसके लिए सभी पंजीकृत व्यक्तियों को अग्रिम रूप से सूचित किया जाता है।