पूरे बिहार के साथ-साथ भागलपुर जिले में भी इन दिनों भीषण ठंड और शीतलहर का प्रकोप जारी है। लगातार गिरते तापमान और ठंडी हवाओं ने आम जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। ठंड का असर सिर्फ लोगों की दिनचर्या तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा प्रभाव रोजगार और आजीविका पर भी पड़ रहा है। खासकर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों के सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।

भागलपुर शहर में रोजाना दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में मजदूर काम की तलाश में पहुंचते हैं। ये मजदूर सुबह-सुबह भाड़ा और किराया खर्च कर शहर के विभिन्न चौक-चौराहों और निर्माण स्थलों पर काम मिलने की उम्मीद में खड़े रहते हैं। लेकिन शीतलहर के चलते निर्माण कार्य, मजदूरी और अन्य बाहरी कामकाज लगभग ठप हो गए हैं। नतीजतन, अधिकांश मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है और वे निराश होकर खाली हाथ अपने गांव लौटने को मजबूर हैं।

मजदूरों का कहना है कि ठंड के कारण लोग नए निर्माण कार्य शुरू नहीं कर रहे हैं और जो काम चल रहे थे, वे भी अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं। इससे उनकी दैनिक आय पूरी तरह रुक गई है। रोज कमाने और उसी से घर चलाने वाले इन मजदूरों के लिए यह स्थिति बेहद कठिन हो गई है। कई मजदूरों ने बताया कि शहर आने-जाने में जो पैसे खर्च होते हैं, वह भी अब भारी पड़ने लगे हैं।

शीतलहर की मार सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा चालकों, ठेला विक्रेताओं और फुटपाथ पर काम करने वाले लोगों पर पड़ रही है। ठंड के कारण लोग घरों से कम निकल रहे हैं, जिससे इन वर्गों की आमदनी में भारी गिरावट आई है। वहीं दूसरी ओर, ठंड से बचाव के लिए अतिरिक्त खर्च भी बढ़ गया है, जिससे मजदूरों की आर्थिक परेशानियां और बढ़ गई हैं।

स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि सरकार और प्रशासन को ऐसे हालात में जरूरतमंदों के लिए ठंड से बचाव की व्यवस्था और रोजगार से जुड़े वैकल्पिक उपायों पर ध्यान देना चाहिए। अलाव, कंबल वितरण और अस्थायी राहत के साथ-साथ मजदूरों के लिए सहायता की जरूरत महसूस की जा रही है। फिलहाल, भागलपुर में शीतलहर ने गरीब और मजदूर तबके की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

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