मोबाइल लैपटाप व कम्प्यूटर के अधिक उपयोग से बढ़ रही कमर दर्द की बीमारीमोबाइल लैपटाप व कम्प्यूटर के अधिक उपयोग से बढ़ रही कमर दर्द की बीमारीमोबाइल लैपटाप व कम्प्यूटर के अधिक उपयोग से बढ़ रही कमर दर्द की बीमारी

भागलपुर। मोबाइल, लैपटाप और कम्प्यूटर के अधिक उपयोग से कमर दर्द की बीमारी तो हो ही रही है साथ ही अगर बिना अभ्यास किए अचानक क्रिकेट, बैडमिंटन या अन्य खेल खेलने से भी कमर और गर्दन दर्द हो रहा है। क्योंकि अभ्यास नहीं करने से मांसपेशिया कड़ी रहती रहती हैं। जबकि अभ्यास करने से लचीली होती है इससे कमर या गर्दन दर्द होने की संभावना नहीं रहती। इसके अलावा जीवनशैली में बदलाव, खानपान में कमी, धूप से विमुख हो रहे लोगों में कमर दर्द हो रहा है। रविवार को आइएमए के वार्षिक अधिवेशन आइएमए हाल में कोलकाता के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. विकास कपूर ने कही।

उन्होंने कहा कि 15 वर्षों में कमर, गर्दन दर्द के मरीजों की संख्या में अत्याधिक बढ़ोतरी हुई है। इसका वजह कमरा में घंटों लैपटाप, मोबाइल और कम्प्यूटर पर काम करना है। बैठने का तरीका भी सही नहीं रहता। शहरी क्षेत्र के 60 फीसद लोग कमर और गर्दन दर्द से परेशान हैं। इसमें युवा सहित 50 वर्ष के अधेड़ भी शामिल हैं। धूप में नहीं रहने की वजह से विटामिन डी की कमी हो रही है। साथ ही बिना अभ्यास किए अचानक खेलकूद करने से भी कमर और गर्दन में दर्द हो रहा है। क्योंकि मांसपेशियां कड़ी हो जाती है और हड्डी का घनत्व भी कम रहता है। इसलिए आवश्यक है कि प्रतिदिन व्यायाम करें और अभ्यास के बाद ही खेलकूद करें। इससे मांसपेशी और हड्डी में लचीलापन रहने से बीमारी से बचेंगे। उन्होंने कहा कि घुटने के दर्द की भी यही वजह है। युवाओं की तुलना में बुजुर्गों को कम से कम एक घंटा व्यायाम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि माइक्रोसर्जरी, इंडोस्कोपिक द्वारा आपरेशन करना आसान हो गया है। एक दिन बाद ही मरीज कार्य कर सकता है।

सभी हेपेटाइटिस मरीजों की इलाज की जरुरत नहीं : डा. विजय प्रकाश

पटना से आए पद्मश्री डा. विजय प्रकाश ने कहा कि सभी हेपेटाइटिस मरीजों को इलाज की जरुरत नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में दो फीसद लोग हेपेटाइटिस बी के मरीज हैं। मरीज का प्राथमिक जांच कर यह जानकारी लेनी चाहिए की लीवर का फंक्शन कैसा है साथ ही हेपेटाइटिस बी की स्थिति क्या है। ज्यादा बढ़ने पर ही मरीज के इलाज की आवश्यकता है। क्लीनिक या नर्सिंग होम के चिकित्सक से लेकर कर्मचारियों को भी हेपेटाइटिस बी के टीके लगवाना चाहिए। ताकि प्रतिरोधक क्षमता बनी रही। क्योंकि टीबी आदि बीमारी से प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है।

रोबोटिक सर्जरी से प्रोस्टेड का आपरेशन हुआ आसान

कोलकाता से आए यूरोलाजिस्ट डा. अभय कुमार ने कहा कि रोबोटिक सर्जरी प्रोस्टेड का आपरेशन आसान हो गया है। आपरेशन में केवल कैंसर का टयूमर निकाला जाता है। जीवनशैली में बदलाव और बढ़ते प्रदूषण से लोग कैंसर की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। साथ ही कृत्रिम ब्लाडर बनाया जाता है। 70 वर्ष की उम्र में प्रत्येक छह बुजुर्गों में एक को प्रोस्टेड कैंसर हो रहा है। बार-बार पेशाब होना, पेशाब में खून आना, कमर में दर्द होना और थोड़ा काम करने के बाद थकान होना प्रोस्टेड कैंसर के लक्षण हैं। सिगरेट एवं नशा का सेवन करने से भी कैंसर होता है।

मरीज की बीमारी की सही जानकारी स्वजनों को दें : डा. शिव कुमार मिश्रा

कानपूर से आए डा. शिव कुमार मिश्रा ने कहा कि क्लीनिकों और नर्सिंग होम में आए दिन हो रहे हिंसक घटनाओं के जिम्मेवार खुद चिकित्सक हैं। उन्होंने कहा कि मरीज की हालत की जानकारी स्वजनों को दें। अगर स्थिति गंभीर है तो सही जानकारी दें। यानि चिकित्सक और मरीज के स्वजनों में संवाद होता रहे। इससे स्वजन भी परेशान नहीं होंगे। लेकिन अधिकांश चिकित्सक स्वजनों के साथ संवाद नहीं करते। सीसीटी भी लगाए ताकि हिंसक घटना होने की रिकाडिंग हो सके।

चिकित्सक एकजुट होंगे तभी समस्याएं दूर होंगी : डा. सहजानंद

आईएमए के राष्ट्रीय अघ्यक्ष डा. सहजानंद प्रसाद सिंह ने कहा कि जबतक चिकित्सक एकजुट नहीं होंगे तबतक समस्या का समाधान संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पूर्णिया सहित अन्य जिलों में आए दिन चिकित्सकों पर हमला होता है। डाक्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट बनाने के लिए भी एकजुट होना होगा। उन्होंने चिकित्सकों से अपील की है कि प्रत्येक दिन कम से कम पांच निर्धन मरीजों का इलाज निश्शुल्क करें। कई प्रकार के चिकित्सकों को रजिस्ट्रेशन करवाने में रिश्वत देनी होती है। इसके विरोध में भी चिकित्सकों को एकजुट होना होगा। आइएमए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रविवाण खेडकर ने भी विचार दिए। अतिथियों का स्वागत आइएमए अध्यक्ष डा. संजय सिंह, सचिव डा. मनीष ने किया। इस अवसर पर कई चिकित्सक उपस्थित थे।

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