जहानाबाद जिले के रतनी फरीदपुर प्रखंड अंतर्गत रामसे विगहा और मनन विगहा गांव के बीच स्थित पुराने बरगद पेड़ के पास सोमवार को वट सावित्री पूजा के दौरान एक अप्रत्याशित घटना सामने आई। मधुमक्खियों के अचानक हमले से पूजा कर रही महिलाओं और उनके साथ आए बच्चों में भगदड़ मच गई। इस हमले में करीब दो दर्जन लोग घायल हो गए, जिनमें से आधा दर्जन को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, व्रती महिलाएं वट सावित्री व्रत के अवसर पर बरगद के पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना कर रही थीं। यह स्थान गांव के लोगों के लिए धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, जहां पर विवाह और अन्य शुभ अवसरों पर भी पूजा की जाती है। सोमवार को भी लगभग 40 से 50 महिलाएं और उनके परिजन पूजा में शामिल थे। इसी दौरान पेड़ पर बसे मधुमक्खियों के छत्ते से अचानक मधुमक्खियां निकलकर लोगों पर टूट पड़ीं।

हमले के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। महिलाएं और बच्चे जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। कई लोग जमीन पर गिरकर घायल हो गए, जबकि कुछ को मधुमक्खियों ने गंभीर रूप से काटा। घायल व्यक्तियों में मनन विगहा गांव की जमीला देवी, साध्वीक कुमारी तथा रामसे विगहा गांव की नैंसी कुमारी, नैतिक कुमार और रिचा कुमारी शामिल हैं। इन सभी का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है।

प्रत्यक्षदर्शी रिशु कुमारी ने बताया कि हमले के वक्त वहां उनकी बुआ, बहन, भतीजी और मां भी मौजूद थीं। सभी मधुमक्खियों के काटने से घायल हो गए। एक महिला तो हमले के बाद बेहोश हो गईं, जिन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया। रिशु ने बताया कि यह बरगद का पेड़ काफी पुराना है और हर साल गांव की महिलाएं यहां व्रत करती हैं, लेकिन इस तरह की घटना पहले कभी नहीं हुई थी।

घटना की जानकारी मिलते ही आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे और घायलों को अस्पताल पहुंचाने में मदद की। कुछ लोगों ने प्राथमिक उपचार भी मौके पर किया। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि सभी घायलों की स्थिति अब स्थिर है और उन्हें आवश्यक उपचार दिया जा रहा है।

इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों को झकझोर कर रख दिया है। लोग अब बरगद पेड़ के आसपास सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। प्रशासन ने इस संबंध में जांच शुरू कर दी है और बरगद के पेड़ की निगरानी तथा मधुमक्खियों के छत्ते को हटाने की प्रक्रिया पर विचार कर रहा है।

यह घटना धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था और जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित करती है। व्रत और पूजन जैसे कार्यक्रमों के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन कर, ऐसी अप्रत्याशित घटनाओं से बचा जा सकता है।

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