बिहार के बांका जिले से एक ऐसी प्रेम कहानी सामने आई है, जिसने लोगों को हैरानी में डाल दिया है। इस कहानी ने समाज के पारंपरिक रिश्तों और सोच को चुनौती दी है। आमतौर पर सौतन का रिश्ता कटुता और जलन से भरा माना जाता है, लेकिन यहां एक पत्नी ने अपने पति की प्रेमिका को न केवल स्वीकार किया बल्कि उसे बहन का दर्जा देने की बात भी कही। कोर्ट के फैसले ने भी इस प्रेम कहानी को मान्यता दी और प्रेमी-प्रेमिका को साथ रहने की इजाजत दे दी।

कहानी की शुरुआत:
यह कहानी बांका जिले की है, जहां प्रेमी और प्रेमिका दोनों पहले से शादीशुदा थे। दोनों की अलग-अलग लोगों से शादी हो चुकी थी। प्रेमिका के पति और प्रेमी दोनों पुणे में मजदूरी का काम करते थे। इसी दौरान दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और प्यार हो गया। फोन पर बातचीत और मुलाकातों के दौरान दोनों ने एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने का फैसला कर लिया।

प्रेमिका का घर छोड़ना:
10 जनवरी को विवाहिता अपने पति और बच्चों को छोड़कर प्रेमी के साथ भाग गई। दोनों ने हैदराबाद में जाकर शरण ली और वहां एक महीने तक साथ रहे। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। विवाहिता के पति ने टाउन थाना में प्रेमी के खिलाफ पत्नी के अपहरण का केस दर्ज कराया।

पुलिस की कार्रवाई और कोर्ट में पेशी:
पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद कार्रवाई शुरू की और आखिरकार विवाहिता को हैदराबाद से बरामद कर लिया। इसके बाद महिला को बांका सिविल कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में पेशी के दौरान विवाहिता ने अपने प्रेमी के साथ रहने की इच्छा जताई।

कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला:
कोर्ट ने महिला की इच्छा को मानते हुए उसे प्रेमी के साथ जाने की अनुमति दे दी। कोर्ट के इस फैसले ने पूरे जिले में चर्चा का विषय पैदा कर दिया। समाज में जहां एक ओर ऐसे रिश्तों को स्वीकार करना कठिन माना जाता है, वहीं कोर्ट ने अपने फैसले से प्रेम और स्वतंत्रता की भावना को मान्यता दी।

प्रेमी की पहली पत्नी का बड़ा दिल:
इस प्रेम कहानी में सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब प्रेमी की पहली पत्नी कोर्ट में पेश हुई। आमतौर पर ऐसी स्थितियों में विवाद और झगड़े देखने को मिलते हैं, लेकिन यहां प्रेमी की पहली पत्नी ने एक नया उदाहरण पेश किया।
पहली पत्नी ने अदालत में कहा,
“मैं उसे सौतन की तरह नहीं, बहन की तरह रखूंगी।”
उसने दोनों के प्यार को अपनी मंजूरी दी और अपने पति के फैसले का सम्मान किया। पहली पत्नी के इस बयान ने सभी को चौंका दिया और रिश्तों को देखने का एक नया नजरिया दिया।

20 साल पुराना रिश्ता और नई शुरुआत:
प्रेमी की शादी 20 साल पहले हुई थी और उसके दो बच्चे भी हैं। वहीं विवाहिता का पति भी पुणे में मजदूरी करता है। प्रेमी और विवाहिता का प्रेम संबंध भी पुणे में ही शुरू हुआ था, जब दोनों एक ही जगह काम करते थे। साथ काम करने के दौरान दोनों एक-दूसरे के करीब आए और प्यार हो गया।

साथ जीने-मरने की कसमें:
फोन पर लंबी बातचीत और मुलाकातों के दौरान दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं। विवाहिता ने अपने पति और बच्चों को छोड़कर प्रेमी के साथ भागने का कठिन निर्णय लिया। यह फैसला समाज के नजरिए से भले ही विवादास्पद हो, लेकिन यह उनके प्रेम की सच्चाई को दर्शाता है।

पुलिस और अनुसंधानकर्ता का बयान:
अनुसंधानकर्ता एसआई संगीता कुमारी ने बताया,
“मुस्तफा पहले से शादीशुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं। 10 जनवरी को वह विवाहिता के साथ हैदराबाद भाग गया था। पुलिस ने विवाहिता को बरामद कर कोर्ट में पेश किया, जहां महिला ने अपने प्रेमी के साथ रहने की इच्छा जाहिर की। कोर्ट ने महिला को उसकी इच्छा के अनुसार प्रेमी के घर भेज दिया है।”

सामाजिक नजरिया और चर्चा का विषय:
यह कहानी केवल एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि समाज में रिश्तों को लेकर बनी रूढ़ियों को तोड़ने का प्रतीक है। आमतौर पर भारतीय समाज में सौतन के रिश्ते को नकारात्मक नजरिए से देखा जाता है, लेकिन बांका की इस प्रेम कहानी ने इसे एक नया आयाम दिया है।
पहली पत्नी द्वारा प्रेमिका को बहन का दर्जा देना और कोर्ट का प्रेमियों को साथ रहने की अनुमति देना, दोनों ही सामाजिक सोच में बदलाव की मिसाल हैं।

निष्कर्ष:
बांका की इस अनोखी प्रेम कहानी ने यह साबित कर दिया है कि प्यार न तो उम्र देखता है, न समाज की परंपराओं को। जब इंसान सच्चे दिल से किसी से प्रेम करता है, तो वह समाज की बंदिशों को भी तोड़ देता है। इस कहानी में पहली पत्नी का बड़ा दिल, प्रेमी-प्रेमिका का एक-दूसरे के लिए समर्पण और कोर्ट का स्वतंत्रता को महत्व देना, सबने मिलकर इसे एक मिसाल बना दिया है।
यह प्रेम कहानी समाज को यह सीख देती है कि रिश्तों में सबसे जरूरी है समझदारी, स्वीकृति और प्यार। जब रिश्तों में ये तीनों बातें हों, तो कोई भी बंधन असंभव नहीं होता।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *