शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने स्पष्ट किया है कि राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षक अब निजी ट्यूशन या कोचिंग संस्थानों में पढ़ाने के पात्र नहीं हैं। यदि कोई शिक्षक इस निर्देश का उल्लंघन करते हुए पाया गया, तो उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह निर्देश शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने और विद्यार्थियों को विद्यालयों में ही समुचित शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से दिया गया है।
डॉ. सिद्धार्थ ने ‘शिक्षा की बात’ कार्यक्रम के 15वें एपिसोड में शिक्षकों द्वारा पूछे गए सवालों का उत्तर देते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हालांकि स्कूल अवधि के बाद यदि छात्र-छात्राएं किसी निजी शिक्षक से ट्यूशन लेते हैं, तो उसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन विद्यालय से संबद्ध शिक्षक उसमें सम्मिलित नहीं हो सकते।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने गर्मी छुट्टी के बाद स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति की प्रक्रिया में बदलाव की भी जानकारी दी। अब स्कूलों में छात्रों की बायोमेट्रिक हाजिरी ली जाएगी, जिसमें चेहरे की स्कैनिंग के माध्यम से उनकी उपस्थिति दर्ज की जाएगी। इस तकनीक से छात्रों की वास्तविक उपस्थिति सुनिश्चित की जा सकेगी और अनुशासन भी बेहतर होगा।
गर्मी की छुट्टियों का भी रचनात्मक उपयोग करने पर विचार किया जा रहा है। डॉ. सिद्धार्थ ने बताया कि इस अवकाश के दौरान सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्थानीय कलाकारों द्वारा म्यूजिक, आर्ट और क्राफ्ट जैसी रचनात्मक विधाओं का प्रशिक्षण दिलवाने की योजना पर विचार हो रहा है। इससे बच्चों की प्रतिभा को निखारने और उनकी रुचियों को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।
तबादलों के विषय में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि राज्य में एक लाख 30 हजार शिक्षकों का जिला स्तर पर तबादला कर दिया गया है। इन सभी शिक्षकों को 20 जून तक तबादले की चिट्ठी सौंप दी जाएगी, जिससे वे समय पर अपने नए स्थान पर योगदान दे सकें।
पाठ्यपुस्तकों की आपूर्ति को लेकर भी विभाग गंभीर है। अपर मुख्य सचिव ने आश्वस्त किया कि गर्मी की छुट्टी शुरू होने से पहले ही सभी बच्चों को पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि वे अपनी पढ़ाई में किसी प्रकार से पिछड़े नहीं।
अंत में, उन्होंने यह भी जानकारी दी कि स्कूलों में पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए रिक्त पदों की गणना की जा रही है। जैसे ही यह प्रक्रिया पूर्ण होगी, नियुक्तियों की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
यह सब पहल राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और विद्यार्थियों को समग्र रूप से विकसित करने के उद्देश्य से की जा रही है। शिक्षा विभाग की इन कोशिशों से निश्चित रूप से सरकारी स्कूलों की स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा।