राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री अंगद कुशवाहा ने आज सहरसा जिला परिषद प्रांगण में एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता कर “संवैधानिक अधिकार – परिसीमन सुधार” अभियान को एक व्यापक जनांदोलन में बदलने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि जब तक बिहार और उत्तर भारत को जनसंख्या के अनुपात में न्यायपूर्ण राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा। श्री कुशवाहा ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि संवैधानिक और सामाजिक न्याय से जुड़ा है।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए श्री कुशवाहा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 और 170 का हवाला दिया, जिनमें हर जनगणना के बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों के पुनर्सीमन (डिलिमिटेशन) की प्रक्रिया का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि 1976 में हुए 42वें संविधान संशोधन के तहत यह प्रक्रिया 2026 तक स्थगित कर दी गई, जिससे उत्तर भारत विशेषकर बिहार जैसे राज्यों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि वर्तमान में दक्षिण भारत के राज्यों में औसतन 10 लाख की आबादी पर एक लोकसभा सीट है, जबकि उत्तर भारत में एक सीट पर औसतन 31 लाख की जनसंख्या है। इस असमानता के कारण संसदीय प्रतिनिधित्व और संसाधनों का बंटवारा भी अनुचित हो गया है। श्री कुशवाहा ने कहा कि यह केवल राजनीतिक हक का मामला नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और विकास से जुड़ा एक गहन सामाजिक मुद्दा है।
प्रेस वार्ता में जिला अध्यक्ष अर्चना आनंद ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि अगर 1976 में परिसीमन की प्रक्रिया को रोका नहीं गया होता, तो बिहार को वर्तमान समय में कम से कम 60 लोकसभा सीटें मिलतीं। उन्होंने इसे न केवल सामाजिक न्याय बल्कि महिला आरक्षण के साथ भी बड़ा अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि संसदीय प्रतिनिधित्व की इस असमानता का खामियाजा सबसे अधिक पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों को उठाना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा की ओर से यह भी जानकारी दी गई कि पार्टी इस मुद्दे को लेकर जनजागरण अभियान चला रही है और इसी क्रम में दो बड़ी महारैलियों का आयोजन किया जा रहा है। पहली महारैली 25 मई को रोहतास में और दूसरी 8 जून को मुजफ्फरपुर में आयोजित की जाएगी। इन रैलियों का नेतृत्व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री उपेंद्र कुशवाहा स्वयं करेंगे।
श्री अंगद कुशवाहा ने बिहार की जनता से इस अभियान में भाग लेने की अपील करते हुए कहा कि यह लड़ाई हर उस नागरिक की है जो अपने संवैधानिक अधिकार और न्यायपूर्ण हिस्सेदारी के लिए खड़ा होना चाहता है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी पार्टी विशेष का नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के करोड़ों लोगों की आवाज बन चुका है।
उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि 2026 की समयसीमा की बजाय, वर्तमान जनसंख्या के आधार पर तुरंत परिसीमन की प्रक्रिया शुरू की जाए ताकि लोकतंत्र में समान भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
प्रेस वार्ता के अंत में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अगर सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती है, तो राष्ट्रीय लोक मोर्चा इसे पूरे देश में जनांदोलन का रूप देगा और चरणबद्ध तरीके से प्रदर्शन, धरना, रैली और पदयात्रा जैसे कदम उठाए जाएंगे।
यह अभियान न केवल राजनीतिक प्रतिनिधित्व की मांग कर रहा है, बल्कि एक समावेशी और न्यायपूर्ण भारत की परिकल्पना को भी साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है।
