राज्य में खरीफ धान की रोपनी इस समय जोर-शोर से चल रही है। धान की बेहतर पैदावार और खेती में आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में कृषि विभाग ने किसानों के लिए **धान की फसल से खरपतवार हटाने के उपाय** और **रसायनों के सही उपयोग** को लेकर नई सलाह जारी की है।

कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग **अनुशंसित मात्रा में ही करें** और छिड़काव करते समय मौसम और भूमि की स्थिति का ध्यान रखें। विभाग के अनुसार, छिड़काव हमेशा **हवा शांत और साफ मौसम में** करना चाहिए। साथ ही, खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है। धान की फसल में सामान्यतः **दो बार निकाई-गुड़ाई** की जरूरत होती है। पहली निकाई रोपनी के 20-25 दिन बाद और दूसरी 40-45 दिन बाद की जाती है।

कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि कभी-कभी **मजदूरों की कमी या असामान्य मौसम** के कारण यांत्रिक विधि से निकाई-गुड़ाई संभव नहीं हो पाती। ऐसी स्थिति में किसान **खरपतवारनाशी रसायनों का प्रयोग** करके धान में खरपतवार नियंत्रण सुनिश्चित कर सकते हैं।

**खरपतवारनाशी रसायनों के उपयोग का तरीका:**

* **पेंडीमेथिलीन 30% ईसी:** प्री-इमरजेंस प्रकृति का रसायन, बुआई के 3-5 दिन के अंदर 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
* **बूटाक्लोर 50% ईसी:** रोपनी के 2-3 दिन के भीतर 2.5 लीटर 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव या 50-60 किलोग्राम सूखे बालू में मिलाकर भुड़काव किया जा सकता है।
* **प्रेटिलाक्लोर 50% ईसी:** रोपनी के 2-3 दिनों के भीतर 1.25 लीटर को 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
* **ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5% ईसी:** 650-1000 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव किया जा सकता है, विशेषकर जीरोटिलेज या सीडड्रील विधि से सीधी बुआई में।
* **पाइराजोसल्फॉन ईथाइल 10% डब्लूपी:** रोपनी के 8-10 दिन के भीतर 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 600-700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव या 50-60 किलोग्राम सूखे बालू में मिलाकर प्रयोग करें।
* **विस्पाइरी बैंक सोडियम 10% एसएल:** पोस्ट-इमरजेंस प्रकृति का रसायन, रोपनी के 15-20 दिन के भीतर 200 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 700-800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि **खरपतवारों से मुक्त खेत में धान की फसल बेहतर विकास करती है**, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता और अधिक पैदावार मिलती है। विभाग ने यह भी कहा कि रसायनों का सही और सुरक्षित उपयोग न केवल फसल की सुरक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि पर्यावरण और किसानों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।

इस पहल से राज्य के किसानों को **धान की वैज्ञानिक खेती अपनाने** में मदद मिलेगी और खरीफ फसल की पैदावार में वृद्धि होगी। विभाग लगातार किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण और सलाह देता रहेगा ताकि खेत में उच्च उत्पादन सुनिश्चित किया जा सके।

 

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