बांग्लादेश की हालत भी पाकिस्तान जैसी होती जा रही है. बांग्लादेश की मुद्रास्फीति में रिकॉर्ड बढोत्तरी देखी गई है. ताजा आंकड़ा खुद बांग्लादेश सांख्यिकी ब्यूरो ने जारी किये हैं. पाकिस्तान में इस वक्त 38 फीसदी मुद्रास्फीति पहुंच चुकी है जोकि श्रीलंका की मुद्रास्फीति को भी पीछे छोड़ चुकी है. पाकिस्तान में की मुद्रास्फीति की दर अभी एशिया में सबसे अधिक है.

बांग्लादेश का आयात में खर्च 82 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया है. ढाका विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्री रशीद अल महमूद ने कहा है कि देश में मुद्रास्फीति की दर वेतन वृद्धि से कहीं अधिक है. जीवनयापन संकट में आ रहा है. बांग्लादेश की हालत पाकिस्तान जैसी क्यों और कैसे हो गई है, इसे 5 पॉइंट में समझते हैं:

  • बांग्लादेश में पिछले एक दशक के दौरान मुद्रास्फीति की दर में काफी तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. यहां मई में मासिक मुद्रास्फीति 9.94 फीसदी तक पहुंच गई. यह 2010-11 के बाद से सबसे अधिक मुद्रास्फीति दर है. तब यहां की मुद्रास्फीति की दर 10.11 फीसदी हो गई थी. बांग्लादेश में खाने पीने की चीज़ों की कीमतें आसमान छू रही हैं. यहां गैर-खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में 9.72 प्रतिशत से बढ़कर 9.97 प्रतिशत हो गई.
  • बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा भंडार गिर गया है. जिसके चलते यहां की आर्थिक हालत खस्ता हो गई है. मई में एशियन क्लियरिंग यूनियन को 1.18 बिलियन डॉलर के आयात बिलों के भुगतान के बाद बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 29.83 बिलियन डॉलर के सात साल के निचले स्तर पर आ गया.
  • सोमवार को दक्षिणी बांग्लादेश में देश का सबसे बड़े पावर स्टेशन बंद कर दिया गया. क्योंकि डॉलर की कमी के कारण कोयले का आयात नहीं हो सका. जिससे गंभीर बिजली संकट बढ़ रहा था. आमलोगों की मुश्किल बढ़ रही थी.
  • प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण कीमतों में वृद्धि हुई है. गैस, ईंधन, परिवहन, वस्तुओं की कीमतों पर इसका असर पड़ा है. लोग कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. साल की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से देश को 4.7 बिलियन डॉलर के ऋण पैकेज की मंजूरी मिली थी, इसके बावजूद बांग्लादेश डॉलर के संकट से जूझ रहा है.
  • वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम (WEF) के एक ग्लोबल सर्वे के मुताबिक बांग्लादेश में आने वाले सालों में तीन प्रकार के जोखिम बढ़ सकते हैं. पहला-जीवन-यापन का संकट, दूसरा- रोजगार या आजीविका संकट और तीसरा-संक्रामक रोग का संकट. सर्वे के मुताबिक वित्तीय क्षेत्र का प्रदर्शन भी नकारात्मक है. बैंक, स्टार्ट-अप सब की परफॉर्मेंस नीचे की ओर जाती दिख रही है.

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