बिहार में इस बार छठ पूजा के बाद विधानसभा चुनाव होने की चर्चा तेज हो गई है। चुनाव आयोग (ECI) के दो दिवसीय दौरे के बाद राजनीतिक गलियारों में यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या छठ पूजा के बाद ही चुनाव की घोषणा होगी। शनिवार को राजनीतिक दलों की बैठक में भी नेताओं ने आयोग से अनुरोध किया कि छठ पूजा संपन्न होने के बाद ही मतदान कराया जाए। रविवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) **ज्ञानेश कुमार** ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार के चुनावी तैयारी की जानकारी दी।

 

प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत ज्ञानेश कुमार ने बिहारी अंदाज में की — पहले भोजपुरी फिर मैथिली में जनता को प्रणाम करते हुए कहा, *“जैसे हम छठ पूजा मनाते हैं, वैसे ही मतदान को भी पर्व की तरह मनाएं।”* उन्होंने बताया कि चुनावी प्रक्रिया **22 नवंबर से पहले पूरी हो जाएगी।** सभी जिलों के SP, DM, IG, कमिश्नर सहित मुख्य सचिव और DGP के साथ बैठक कर तैयारियों की समीक्षा की गई है।

 

आयुक्त ने बताया कि इस बार **देशभर के 700 बूथ लेवल एजेंट्स की ट्रेनिंग दिल्ली में कराई गई है**, ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने कहा कि पहले वोटर आईडी कार्ड मिलने में देरी होती थी, अब **15 दिनों के भीतर कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा।** हर बूथ पर अब अधिकतम 1200 मतदाता रहेंगे, ताकि मतदान केंद्रों पर भीड़ न बढ़े। मोबाइल फोन मतदान केंद्र के अंदर ले जाने की अनुमति नहीं होगी, लेकिन बूथ के पास मोबाइल रखने की व्यवस्था होगी।

 

ज्ञानेश कुमार ने एक नई सुविधा की घोषणा की — **‘वन स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म’**, जहां मतदाता मतदान केंद्र, तारीख और अन्य जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। वहीं, प्रत्याशियों की शिकायतों को देखते हुए अब **EVM पर प्रत्याशियों की रंगीन तस्वीरें और बड़े अक्षरों में क्रम संख्या** प्रदर्शित की जाएंगी। अगर काउंटिंग में कोई गड़बड़ी मिलेगी तो दोबारा काउंटिंग कराई जाएगी।

 

इस बार चुनाव आयोग ने **डिजिटल इंडेक्स कार्ड प्रणाली** भी शुरू की है, जिससे चुनाव खत्म होते ही कुछ घंटे के भीतर परिणामों का इंडेक्स कार्ड उपलब्ध कराया जा सकेगा। आयोग ने सभी दलों से अपील की कि वे अपने पोलिंग एजेंट्स को बूथों पर तैनात करें और **मॉक पोल की प्रक्रिया को ध्यानपूर्वक देखें।**

 

जिन मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से छूट गया है, उन्हें भी आयोग ने राहत दी है। 1 अगस्त से 1 सितंबर तक दावा-आपत्ति का समय था, लेकिन अब भी योग्य मतदाता आवेदन कर सकते हैं। आयोग ने कहा कि **बिहार के 7 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने सक्रिय रूप से SIR प्रक्रिया में हिस्सा लिया है।**

 

आधार कार्ड को लेकर ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि **आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है**, केवल पहचान का दस्तावेज है। नागरिकता और मतदान का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत तय होता है।

 

उन्होंने कहा कि जिनका नाम हटाया गया है, वे अपने **जिलाधिकारी (DM)** से शिकायत कर सकते हैं। मतदाता सूची से केवल उन्हीं के नाम हटाए गए हैं जो भारत के नागरिक नहीं हैं, पलायन कर चुके हैं या दो जगहों पर नाम दर्ज था।

 

अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग की औपचारिक घोषणा पर टिकी हैं। संकेत साफ हैं — **बिहार में चुनावी बिगुल छठ पूजा के बाद ही बजेगा, और मतदान प्रक्रिया 22 नवंबर से पहले पूरी कर ली जाएगी।**

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