गोपालपुर प्रखंड के अभिया गांव में गंगा तट पर स्थित काली मैया 150 साल पुरानी है। यहाँ मां काली की पूजा तांत्रिक विधि से की जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि सैकडों वर्षों से काली मइया का फूस का मंदिर अभिया गांव के ही दियारा क्षेत्र में था, लेकिन 1934 ईस्वी में गंगा कटाव होने के कारण मेढ़ को अभिया गांव में स्थापित किया गया। पुराने मंदिर की लकड़ी के बने समानों को बेचकर और ग्रामीणों के सहयोग से नए मंदिर का गांव में निर्माण किया किया गया है। उसी समय से अभिया गांव में वैष्णवी काली मइया की पूजा होने लगी।मंदिर के स्वायत सह पुजारी चरित्र मंडल ने बताया कि अभिया गांव की वैष्णवी काली बहुत ही शक्तिशाली हैं। यहां माता के सभी स्वरूपों की विधिवत पूजा की जाती है। दीपावली की रात ही मइया का पट खुल जाता है। गांव में कोई भी मांगलिक कार्य करने से पहले मइया के दरवाजे पर माथा टेकने ग्रामीण आते हैं।
मेला के अध्यक्ष पंच लाल मंडल ने बताया कि अभिया गांव की वैष्णव काली बहुत ही शक्तिशाली हैं। यहां पर जो भी लोग मइया से मांगते हैं उनकी मुरादें पूरी होती हैं। कई जिलों से यहां मइया का दर्शन करने के लिए लोग आते हैं। तीन दिनों तक यहां ग्रामीणों के द्वारा मेला लगाया जाता है। मेला कमेटी के अनंत ने बताया कि दो दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी होता है। विसर्जन के समय गांव के बूढ़े बुजुर्ग बच्चे महिलाएं विसर्जन में शामिल होते हैं और अबीर गुलाल लगाकर एक दूसरे की एकता की प्रतीक भी दिखाते हैं। हालांकि लगातार कोरोना के दो वर्ष तक मेला प्रभावित रहा लेकिन इस बार मेला में अधिक से अधिक भीड़ देखने को मिलेगा।