उक्रेन में पढ़ाई कर रही सहरसा की बेटी आतका खुर्शीद मंगलवार को अपने घर पहुंची। उसे घर पहुंचने के लिए अपने सीनियर से 50 डॉलर कर्ज लेना पड़ा। घर पहुँचने के बाद वो काफी खुश नजर आई। वहाँ अभी भी सहरसा के आठ छात्र फंसे हुए हैं।


आतका ने बताया कि वो पश्चिमी सीमा पर स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी में थी। जो तुलनात्मक रूप से सुरक्षित है। वो हंगरी बॉर्डर से भारत लौटी। वहाँ बम और मिसाइल को गिरते नहीं देखा। किंतु, हवा में मिसाइल और बम को उड़ते हुए देखा।
कीव और पूर्वी बॉर्डर पर स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्र- छात्राओं की जान गंभीर संकट में है। भारतीय दूतावास और भारत सरकार रोमानिया, पोलैंड, स्लोवाकिया और हंगरी बॉर्डर से छात्रों को लेकर भारत आ रही है। किंतु, जो लोग कीव में फंसे हैं, उनकी जान संकट में फंसी हुई है। भारत सरकार को कीव में फंसे छात्र- छात्राओं को निकालने के लिए त्वरित और गंभीर प्रयास करना चाहिए।


उक्रेन में अब तक 14 छात्रों की मौत हो चुकी है। इनमें तीन भारतीय छात्र थे। छात्रों को बंकर में रखा जा रहा है। बंकर में भी एक छात्र की ठंड से मौत हो गई। बंकर में खाने- पीने की काफी दिक्कत हो रही है। क्योंकि रसोइया भाग जा रहा है। भारतीय छात्रों को लाने के लिए भारत सरकार कोई खर्च नहीं लेती है। उससे भी नहीं लिया गया। किंतु, उक्रेन में उससे 50 डॉलर चार्ज किया गया। उसके पास पैसे नहीं थे। वहाँ खाने – पीने की चीजों के दाम बढे हुए हैं। उसने अपने एक सीनियर से 50 डॉलर कर्ज लेना पड़ा। इसके बाद वो बस में खड़े- खड़े यात्रा कर हंगरी बॉर्डर पहुंची। आतका ने भारत सुरक्षित पहुंचने के लिए भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।
उधर, आतका के घर लौटने के बाद जिलाधिकारी आनंद शर्मा और एसपी लिपि सिंह उससे मिलने पहुंचे। जिलाधिकारी आनंद शर्मा ने कहा कि उक्रेन में सहरसा के 8 छात्रों के होने की सूचना मिली है। कुछ रोमानिया और कुछ पोलैंड बॉर्डर पर हैं। भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों के संपर्क में हैं। ताकि उन्हें सुरक्षित रूप से लाया जा सके।
सहरसा से इन्द्रदेव कि रिपोर्ट

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