इस दिन भेष पालने वाले चरवाहा अपने अपने भेष को लेकर एक नियत स्थान पर जमा होते है जहां हजारों की भीड़ में एक शुगर को बांध कर भेष के आगे लाया जाता है फिर तेज आवाज में ढोल नगरा बजाकर भेष को गुस्सा दिलवाया जाता है गुस्से में भेष शुगर पर प्रहार करता है उसके नुकीले सिंग के प्रहार से शुगर दम तोड़ देता है ।
इस दृश्य को देखकर लोग मनोरंजन करते है ।
बुजुर्गों ने बतलाया ये मनोरंजन के
सिवा और कुछ नहीं है इसे धर्म से कोई लेना देना नहीं है
सदियों पहले ये भील जाति के लोग मनाते थे क्योंकि भेष वही पालते थे आज ये जातियों तक सीमित नहीं रह गया है सभी वर्ग के लोग जो पशु धन पालते है इस खेल का मजा लेते है
उनके मन में ये भ्रांतियां भी है कि इस भागदौड़ से भेष साल भर स्वस्थ रहते है साथ ही दूध की मात्रा भी बढ़ जाते है।