सहरसा से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां सदर अस्पताल में इलाज के दौरान एक महिला की मौत हो गई। इस घटना के बाद मृतका के परिजनों ने डॉक्टर और अस्पताल कर्मियों पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि चिकित्सक ने गलत इंजेक्शन दिया, जिससे महिला की मौत हो गई।
मृतका की पहचान महिषी थाना क्षेत्र के **मैना वार्ड नंबर 6 निवासी सहदेव ठाकुर की पत्नी 45 वर्षीय प्रमिला देवी** के रूप में हुई है। बताया गया कि 6 अक्टूबर को उन्हें लगातार खांसी की शिकायत पर परिजनों द्वारा सहरसा सदर अस्पताल लाया गया था। जांच में डॉक्टरों ने प्रमिला देवी को अस्थमा (दमा) की बीमारी बताई थी और उन्हें इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करने के बाद महिला वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था।
परिजनों ने बताया कि शुक्रवार की रात तक प्रमिला देवी की तबीयत सामान्य थी, लेकिन शनिवार की सुबह करीब 4 बजे अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई। उस समय ड्यूटी पर मौजूद नर्स और बीएसटी (बेड साइड टेक्नीशियन) दोनों ही वार्ड से नदारद थे। परिजनों ने कई बार मदद के लिए आवाज लगाई लेकिन कोई नहीं पहुंचा। किसी तरह प्रमिला देवी को इमरजेंसी वार्ड में लाया गया, जहां मौजूद डॉक्टर ने बिना बीएसटी के इंजेक्शन लगा दिया।
परिजनों का आरोप है कि इंजेक्शन लगने के कुछ ही मिनट बाद प्रमिला देवी की हालत और बिगड़ गई और देखते ही देखते उन्होंने दम तोड़ दिया। मृतका के भाई **रामनाथ ठाकुर** ने रोते हुए कहा कि “मेरी बहन को गलत इंजेक्शन दिया गया, डॉक्टर की लापरवाही से उसकी जान गई है। अगर समय पर सही इलाज होता तो आज वह जिंदा होती।”
घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और सिविल सर्जन से पूरी जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल में लंबे समय से लापरवाही और अव्यवस्था का आलम है। इमरजेंसी वार्ड में न तो डॉक्टर समय पर रहते हैं, और न ही नर्सें अपनी जिम्मेदारी निभाती हैं। परिजनों का कहना है कि कई बार बिचौलिए और सफाईकर्मी मरीजों को दवा या इंजेक्शन देते नजर आते हैं।
अस्पताल के प्रभारी **उपाधीक्षक** ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि घटना की पूरी जांच की जाएगी और अगर किसी की लापरवाही पाई गई, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना के बाद सदर अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल है। स्थानीय लोगों ने भी अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब लापरवाही के कारण किसी मरीज की जान गई हो। अस्पताल में अव्यवस्था, बिचौलियों की सक्रियता और डॉक्टरों की गैरहाजिरी आम बात हो गई है।
ग्रामीणों और मृतका के परिजनों ने जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर दोषियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
