सहरसा में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से किसान की मौत, परिवार में मचा कोहराम
सहरसा। जिले के नवहट्टा थाना क्षेत्र के साहिडीह गांव में शनिवार को उस समय मातम पसर गया, जब खेत में मखाना लेने गए एक किसान की मौत आकाशीय बिजली गिरने से हो गई। अचानक हुई इस दर्दनाक घटना से न केवल मृतक का परिवार बल्कि पूरा गांव शोक में डूब गया। ग्रामीणों के मुताबिक, मृतक पवन कुमार (23 वर्ष) खेत में अपने काम में व्यस्त थे। तभी तेज बारिश के साथ गिरी आकाशीय बिजली ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। तेज धमाके की आवाज सुनते ही आसपास के लोग दौड़े और पवन को जमीन पर अचेत अवस्था में पड़ा पाया। आनन-फानन में उन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मृतक पवन साहिडीह गांव के हहिलाल के पुत्र थे। बेहद साधारण आर्थिक स्थिति वाले परिवार से आने वाले पवन खेती-बारी कर घर का खर्च चलाते थे। उनकी शादी हो चुकी थी और वे दो छोटे बच्चों के पिता थे। पवन की असमय मौत से घर का सहारा छिन गया है। मां और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। दोनों बच्चों के सिर से पिता का साया उठ जाने से भविष्य की चिंता ने परिवार को तोड़कर रख दिया है।
गांव में भी इस घटना ने गहरा असर डाला है। ग्रामीणों का कहना है कि पवन मेहनती और मिलनसार स्वभाव के युवक थे। उनकी कम उम्र में इस तरह की असमय मौत ने सभी को हिला दिया है। गांव के कई लोग परिवार के घर पहुंचकर ढांढस बंधा रहे हैं, मगर मातम के माहौल में किसी के पास शब्द नहीं हैं।
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि परिवार को आपदा राहत मद से मुआवजा प्रदान किया जाए, ताकि घर का भरण-पोषण चल सके। स्थानीय लोगों का कहना है कि पवन ही परिवार की आर्थिक धुरी थे और उनके चले जाने के बाद घर के सामने गंभीर संकट खड़ा हो गया है। प्रशासन की ओर से यदि शीघ्र मदद नहीं मिली तो परिवार को दो वक्त की रोटी जुटाना भी कठिन हो जाएगा।
गौरतलब है कि हर साल बिहार के विभिन्न जिलों में आकाशीय बिजली गिरने से कई लोगों की मौत होती है। मानसून के मौसम में यह खतरा और अधिक बढ़ जाता है। विशेषज्ञ भी बार-बार सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। खुले मैदान, खेत या पेड़ के नीचे बारिश के दौरान ठहरना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अक्सर मजबूरीवश खेतों में काम करते रहते हैं, जिससे हादसों की आशंका बनी रहती है।
साहिडीह गांव की यह घटना भी लोगों के लिए सबक है कि प्राकृतिक आपदाओं को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि बिजली गिरने की चेतावनी पहले से मिल जाती और समय रहते सतर्कता बरती जाती तो शायद इस तरह की अनहोनी से बचा जा सकता था।
फिलहाल गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। चारों ओर केवल यही चर्चा है कि 23 वर्षीय पवन की जिंदगी इतनी जल्दी खत्म हो जाएगी, किसी ने सोचा भी नहीं था। प्रशासनिक स्तर से जांच और सहायता का आश्वासन दिया गया है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शोकाकुल परिवार को सरकार की ओर से कितनी जल्दी मदद मिल पाती है।
