बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है जिसकी काफी चर्चा हो रही है. कोर्ट ने कहा है कि अविवाहित बेटी अपनी शादी में होने वाले खर्च के लिए अभिभावक पर दावा कर सकती है.
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल दुर्ग जिले के भिलाई स्टील प्लांट में काम करने वाले भानूराम की बेटी ने 2016 में हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसके अनुसार पिता के रिटायरमेंट के बाद उन्हें मिलने वाले 55 लाख रुपए में से 20 लाख रुपए देने के लिए बेटी ने कोर्ट में याचिका डाली थी. लेकिन कोर्ट ने याचिका का योग्य नहीं पाते हुए जनवरी 2016 में इसे खारिज कर दिया. इसके साथ ही हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के प्रावधान के तहत फैमली कोर्ट ने आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसके बाद बेटी ने दुर्ग फैमली कोर्ट में अपील की और पिता से खुद की शादी के लिए 25 लाख रुपए की मांग की. इस अपील को फरवरी 2016 को फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद बेटी ने फैमली कोर्ट के आदेश के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में फिर अपील की.
6 साल बाद हुआ फैसला
बिलासपुर हाईकोर्ट में 6 साल कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद कोर्ट ने युवती के पक्ष में फैसला सुनाया है. युवती ने खुद की शादी में होने वाले खर्च के लिए 25 लाख रुपये का दावा किया. युवती ने कहा कि पिता को रिटायर्ड होने के बाद 75 लाख रुपए मिले है. इस लिहाजा 25 लाख रुपए की मांग की गई है. इसपर हाईकोर्ट ने दुर्ग फैमली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया.
क्या है हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में बताया है कि भारतीय समाज में विवाह और शादी के दौरान खर्च के लिए युवती अपने अभिभावकों पर आश्रित रहती है. हिंदू दत्तक एवं भरण पोषण अधिनियम के तहत बेटी खुद की शादी के लिए अपने अभिभावकों से शादी के खर्च के लिए दावा कर सकती है.