पाकिस्तान क्रिकेट टीम को बतौर कप्तान 1992 का वर्ल्ड कप जिताने वाले इमरान खान के सामने अब सियासी पिच पर अविश्वास प्रस्ताव में जीतने की चुनौती है। 2018 में पाकिस्तान के पीएम बनने वाले इमरान खान के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है, जिस पर 3 अप्रैल को मतदान होने वाला है। सदन में जीत हासिल करने के लिए इमरान खान को 172 मतों की जरूरत है, जबकि उनके पास फिलहाल 164 वोट ही दिखते हैं। पीएमएल-क्यू ने उनका साथ छोड़ दिया है, जबकि बलूचिस्तान अवाम पार्टी भी उनसे अलग हो चुकी है। ऐसे में इमरान की सियासी पिच पर पारी आगे बढ़ना मुश्किल ही दिखता है। पाकिस्तान की सियासत का यह रिकॉर्ड रहा है कि कोई पीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। आइए जानते हैं, कैसे मुश्किल में आते चले गए इमरान खान…
नया पाकिस्तान के नारे के साथ सत्ता में आने वाले इमरान खान के दौर में महंगाई अपने चरम पर है। खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं, इसके अलावा पेट्रोल और डीजल की भी कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक जनवरी में महंगाई दर 13 फीसदी हो गई थी। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक खाने-पीने की चीजों की महंगाई दोहरे अंकों में है। लेकिन इमरान खान इस पर लगाम लगाने में नाकाम रहे हैं। यहां तक कि पिछले दिनों तो उन्होंने यह भी कह दिया मैं आलू और टमाटर के दामों को जानने के लिए पीएम नहीं बना हूं। मैंने देश के युवाओं का भविष्य सुधारने के लिए कमान संभाली है।
इमरान खान जब सत्ता में आए थे तो कहा जा रहा था कि इसके पीछे सेना का समर्थन है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से उनकी बिगड़ गई है। बीते साल अक्टूबर में दोनों के बीच आईएसआई के नए चीफ की नियुक्ति को लेकर टकराव शुरू हुआ था। इमरान खान चाहते थे कि उनके करीबी फैज हमीद को दोबारा नियुक्ति दी जाए, जबकि बाजवा ने इसके खिलाफ फैसला लिया। कहा जा रहा है कि इमरान खान फैज हमीद को 2023 में आर्मी चीफ बनाना चाहते हैं। ऐसे में कमर जावेद बाजवा की रणनीति यह है कि इमरान खान को उससे पहले ही सत्ता से बेदखल कर दिया जाए।
इमरान खान की पार्टी पीटीआई 2018 के चुनाव में सबसे बड़ा दल बनकर उभरी थी। कई सहयोगी दलों के साथ मिलकर इमरान खान ने सरकार बना ली थी। लेकिन अब सहयोगी दलों ने तो इमरान का साथ छोड़ा ही है, खुद उनकी ही पार्टी के कई नेता पीटीआई से अलग हो चुके हैं। इमरान के खिलाफ पीएमएल-एन के शहबाज शरीफ ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है और उसे आसिफ अली जरदारी की पार्टी पीपीपी का भी समर्थन हासिल है।