आज़ाद ने पूछताछ में स्वीकार किया कि लीलावती के पटाखा व्यवसाय में उसने पैसे लगाए थे और पटाखा की बिक्री में सहयोग करता था। यद्यपि काफी समय तक वह कुछ भी बताने को तैयार नही हुआ।
लेकिन वह इस प्रश्न का जवाब नही दे पाया कि घटना के बाद वह घटनास्थल पर क्यों नही पहुंचा जबकि उसका काफी नुकसान हुआ था। वह घटनास्थल पर जाने की बजाय फोन के माध्यम से लोगों से जानकारी ले रहा था।
शुरू में उसने इस बात से भी साफ इंकार कर दिया कि उसे लीलावती द्वारा पटाखा निर्माण की जानकारी थी। लेकिन काफी पूछताछ के बाद लीलावती के व्यवसाय में वित्तिय रूप से सहयोग करने तथा पटाखा की बिक्री में सहयोग करने की बात स्वीकारी।
नवीन मण्डल ने भी अपने स्वीकारोक्ति बयान में आज़ाद द्वारा पटाखा व्यवसाय में संलग्न होने की पुष्टि की है।
नवीन मण्डल ने ही आशीष के द्वारा बारूद सप्लाय की जानकारी दी थी।
आशीष से पूछताछ के बाद पटाखा निर्माण में उपयुक्त होने वाला पदार्थ का एक बोरा ट्रांसपोर्ट से बरामद हुआ है जिसकी डिलीवरी आशीष नही ले स्का था । विस्फोटक जैसे पदार्थ का एक अन्य कन्टेनर आशीष के घर मे बने तहखाने से बरामद हुआ है।
आशीष काफी समय से कोलकाता से विस्फोटक पदार्थ लाकर लीलावती, महेंद्र मण्डल, नवीन मण्डल, गुड्डू उर्फ अशोक मण्डल आदि को सप्लाई कर रहा था। पहले ये काम उसका पिता राम कुमार करता था। वह इस मामले एक बार जेल भी जा चुका है। पिछले कुछ समय से बारूद सप्लाई का ये काम आशीष ने संभाल लिया था।
कलकत्ता की जिस दुकान से ये सामग्री लायी जाती थी, sit की टीम ने वहाँ जाकर सम्बंधित दुकानदार से भी पूछताछ की।
वह लाईसेंसी दुकानदार है। उसने आशीष द्वारा खरीदारी के बिल भी दिखाए।
एक बार बैंक के माध्यम से भी पैसा ट्रांसफर हुआ है। यद्यपि अधिकतर पैसे के लेनदेन नकद ही होता था।
नवीन मण्डल ने यह भी बताया कि घटना के दिन उसके द्वारा 40 पेटी लहसुनिया पटाखे तैयार करके रखे गए थे। इसके अलावा पटाखा निर्माण हेतु काफी मात्रा में बारूद भी मौजूद था।
इसके अतिरिक्त होली और शबे बारात के ऑर्डर के कारण लीलावती के घर मे भी भारी मात्रा में निर्मित पटाखे और बारूद मौजूद था।
लीलावती के घर में किसी दुर्घटना के कारण पटाखों में विस्फ़ोट हुआ जिससे इनके घर मे रखे पटाखों में भी विस्फ़ोट हो गया। बारूद की मात्रा काफी अधिक होंने के कारण विस्फ़ोट काफी शक्तिशाली था।
नवीन मण्डल ने यह भी बताया कि पटाख़ों के ऑर्डर बैंड वालों के माध्यम से भी मिलते थे और आशीष भी ऑर्डर दिलवाता था।
घटनास्थल के पास से मिले cctv फुटेज से दो ब्लास्ट होना स्पष्ट है। दोनों के बीच आधा सेकंड से भी कम समय का अंतराल प्रतीत होता है।
अभी तक की जांच, आस पास के लोगों के बयान, गिरफ्तार अभियुक्तों के बयान, तथा ats, fsl तथा बम डिस्पोजल आदि टीम की प्रारंभिक जांच तथा गुप्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी से ये बात स्पष्ट हुई है कि ये विस्फोट भारी मात्रा में पटाखे और बारूद एक तंग जगह पर इकट्ठा होने तथा उसमें किसी कारणवश विस्फ़ोट होने के कारण हुआ है।
पटाखे बनाने वाले लोगों ने बताया कि लहसुनिया पटाखा जमीन या किसी ठोस सतह पर पटकने से फट जाता है। कई बार बनाने के दौरान सुतली ज्यादा टाइट बांधने या हाथ से गिर जाने या बारूद के किसी घटक के ज्यादा मात्रा में मिलाने से ये फट जाता है। इस प्रकार की घटनाएं बीच बीच में होती रहती है।
सम्भवतः ऐसे ही किसी कारण से लीलावती के घर मे रखे पटाख़ों में विस्फ़ोट हुआ जिसके कारण नवीन मण्डल तथा महेन्द्र मण्डल के घर के रखे पटाख़ों में भी विस्फ़ोट हो गया।
इस विस्फ़ोट के कारण आस पास के मकानों के गिरने से काफी लोग मलबे में दब गए।
घटनास्थल से बरामद बारूद की रसायनिक जांच रिपोर्ट अभी fsl से प्राप्त नही हुई है। जाँच रिपोर्ट आने के बाद स्थिति ओर स्पष्ट हो सकेगी।