86 साल बाद सहरसा से दरभंगा के बीच सीधी रेल सेवा मार्च में हो सकती है शुरू, ट्रैक फिट, रेलवे कभी भी चला सकता है ट्रेन, पहले चरण में सहरसा से सुपौल के बीच निरीक्षण हुआ, 1936 में टूटा था संपर्क : मुख्य संरक्षा अधिकारी ने बताया कि निर्मली से लेकर तमुरिया के बीच 19 किमी के क्षेत्र का सीआरएस निरीक्षण हुआ। यही बचा हुआ क्षेत्र कोसी क्षेत्र और मिथिलांचल के मिलन में बाधा था। ट्रैक का काम अच्छा है। अब हावड़ा और दिल्ली दोनों तरफ से आप कहीं भी जा सकते हैं। रेलवे कभी भी ट्रेन चला सकता है।


सहरसा से दरभंगा के बीच 86 वर्षों के बाद सीधी रेल सेवा के मार्च में पहले सप्ताह से शुरू होने की संभावना है। शुक्रवार को कोसी क्षेत्र और मिथिलांचल के बीच 19 किलोमीटर के क्षेत्र में निर्मली से तमुरिया रेलवे स्टेशन के बीच अमान परिवर्तन का काम पूरा होने के बाद सीआरएस निरीक्षण शनिवार को पूरा हो गया। सीआरएस जांच में पहुंचे रेलवे के मुख्य संरक्षा पदाधिकारी शैलेश कुमार पाठक ने बताया कि ट्रैक पूरी तरह दुरुस्त है। उन्हें 100 में 95 अंक दिया गया। इस रेलखंड पर ट्रेन परिचालन किया जा सकता है। कुछ छोटी-बड़ी कमियां हैं, जिन्हें ट्रेन परिचालन के बाद भी दुरुस्त किया जा सकता है। रेलवे बोर्ड चाहे तो कल से ही ट्रेन का परिचालन कर सकता है। उनकी तरफ से रेल परिचालन के लिए पूरी तरह हरी झंडी है। सीआरएस हरी झंडी मिलने के बाद अब इस रूट में ट्रेन चलाने के लिए रेलवे बोर्ड से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। उम्मीद की जा रही है कि मार्च के पहले सप्ताह से पहले कोसी क्षेत्र और मिथिलांचल के बीच ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया जाएगा।

पहले फेज में सहरसा से सुपौल के बीच, दूसरे फेज में सुपौल से आसनपुर कुपहा के बीच, तीसरे फेज में आसनपुर कुपहा से निर्मली तक सीआरएस निरीक्षण हुआ था। चौथे व अंतिम चरण में निर्मली और तमुरिया के बीच ट्रायल हुआ। निरीक्षण की रिपोर्ट दो-चार दिन में आ जाएगी। उनके रिपोर्ट में जो कमियां दिखाई जाएगी उन्हें दूर कर लिया जाएगा। जिसके बाद गाड़ी का परिचालन सुनिश्चित हो जाएगा। हाजीपुर जोन के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि ्रनिर्मली और तमुरिया के बीच 19 किलोमीटर का सीआरएस निरीक्षण किया गया। सीआरएस काफी सफल रहा। हालांकि निरीक्षण की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं दी गई है। जांच रिपोर्ट में उनके द्वारा अप्रूवल दिया जाएगी।

वर्ष 1936 से पूर्व सहरसा से सरायगढ़ भपटिया होते मिथिलांचल का रेल मार्ग से सीधा जुड़ाव था। 1936 में कोसी में आई बाढ़ ने दोनों इलाके के रेल संपर्क को पूरी ध्वस्त कर दिया था। जिसके बाद कोसी और मिथिलांचल के बीच सीधा रेल संपर्क पूरी तरह टूट गया था।

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