बिहार में मकर संक्रांति का पर्व आते ही तिलकुट की मिठास हर घर और हर गली में घुल जाती है। खासकर गया का तिलकुट वर्षों से अपनी सोंधी खुशबू और लाजवाब स्वाद के लिए जाना जाता रहा है। लेकिन अब गया में बना एक खास तिलकुट न सिर्फ राज्य, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में है। यह तिलकुट ताड़ी नहीं, बल्कि ताड़ के पेड़ से निकलने वाले शुद्ध रस ‘नीरा’ से तैयार किया जाता है, जो इसे आम तिलकुट से अलग और खास बनाता है।

 

अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बोधगया के महाबोधी मंदिर के मुख्य द्वार वाले रास्ते पर लगे एक स्टॉल पर इन दिनों नीरा से बना तिलकुट लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इस तिलकुट का स्वाद चखने के बाद इसकी तारीफ करते नहीं थकते। नीरा तिलकुट की मांग इतनी तेजी से बढ़ी है कि वर्ष 2025 में इसके निर्माता डब्ल्यू कुमार ने करीब एक लाख लीटर नीरा से तिलकुट तैयार किया है, बावजूद इसके मांग पूरी करना उनके लिए चुनौती बन गया है।

 

बोधगया के इलरा गांव निवासी डब्ल्यू कुमार ने साल 2023 में पहली बार नीरा से तिलकुट बनाने का प्रयोग किया था। इसका स्वाद इतना अनोखा निकला कि इसकी चर्चा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंच गई और वे स्वयं गया आकर इसकी प्रक्रिया को देख चुके हैं। आज डब्ल्यू कुमार अपने परिवार और अन्य कारीगरों के साथ मिलकर इस खास तिलकुट का निर्माण कर रहे हैं। नीरा से बना गुड़ इस तिलकुट को ज्यादा खस्ता बनाता है और इसमें चीनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता।

 

नीरा तिलकुट बनाने की प्रक्रिया आम तिलकुट जैसी ही है, लेकिन इसमें मेहनत ज्यादा लगती है। पहले नीरा से गुड़ तैयार किया जाता है, फिर उसे पिघलाकर तिल में मिलाया जाता है। इसके बाद लोइयां बनाकर सावधानीपूर्वक कुटाई की जाती है। खास बात यह है कि इसमें नीरा के गुड़ के साथ नीरा पानी भी मिलाया जाता है, जिससे तिलकुट ज्यादा खस्ता और स्वाद में हल्का मीठा बनता है।

 

इस तिलकुट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह ज्यादा मीठा नहीं होता। स्वाद आम तिलकुट जैसा ही होता है, लेकिन चीनी के बिना बनने के कारण इसे शुगर के मरीज भी सीमित मात्रा में खा सकते हैं। डॉक्टर राजकुमार के अनुसार, यदि इसमें चीनी या अलग से गुड़ का प्रयोग नहीं हो तो यह एक तरह से शुगर फ्री तिलकुट है और सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं है।

 

नीरा तिलकुट की कीमत भी आम तिलकुट से थोड़ी ज्यादा है। जहां सामान्य तिलकुट 360 से 380 रुपये प्रति किलो बिकता है, वहीं नीरा तिलकुट 400 से 410 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। इसके बावजूद मांग लगातार बनी हुई है। बोधगया, गया शहर, पटना और गांधी मैदान के सारस मेले में प्रतिदिन 150 किलो से ज्यादा नीरा तिलकुट की बिक्री हो रही है।

 

पर्यटकों को भी नीरा से बना तिलकुट और चाय खूब पसंद आ रही है। सिक्किम से आए एक पर्यटक देवी कार्यकिक ने बताया कि वे अपने परिवार के लिए 10 किलो से अधिक नीरा तिलकुट खरीदकर ले जाएंगे। उनका कहना है कि शराबबंदी के बाद नीरा जैसे उत्पादों ने बिहार को एक नई पहचान दी है।

 

शराबबंदी के बाद ताड़ी के विकल्प के रूप में शुरू हुआ नीरा आज न सिर्फ स्वाद, बल्कि रोजगार का भी बड़ा जरिया बन गया है। नीरा से बना गया का यह तिलकुट अब मकर संक्रांति की मिठास के साथ बिहार की पहचान को भी देश-दुनिया तक पहुंचा रहा है।

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