भागलपुर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में मानव बल की भारी कमी अब जवानों के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है। स्टाफ की कमी के चलते आरपीएफ जवानों को लगातार 12-12 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ रही है, जिससे उनके बीच तनाव बढ़ रहा है। इसका सीधा असर यात्री सुरक्षा पर भी पड़ने की आशंका जताई जा रही है। इसी को लेकर रेलवे प्रशासन ने जवानों की समस्याएं जानने और समाधान निकालने की पहल शुरू की है।

 

इसी क्रम में आरपीएफ के डीआईजी सह पूर्व रेलवे के मुख्य सुरक्षा आयुक्त रफीक अहमद अंसारी भागलपुर रेलवे स्टेशन पहुंचे। उन्होंने स्टेशन की पहली मंजिल पर स्थित सभागार में आरपीएफ जवानों के साथ बैठक की और उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुना। जवानों ने डीआईजी के सामने खुलकर अपनी परेशानियां रखीं। जवानों ने बताया कि काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है, वहीं कई जवान वर्षों से एक ही यूनिट में तैनात हैं, जिससे मानसिक थकान भी बढ़ रही है।

 

बैठक के दौरान डीआईजी रफीक अहमद अंसारी ने कहा कि आरपीएफ के सामने चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन यात्रियों की अपेक्षाओं के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत रखना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जवानों की समस्याओं को उच्च स्तर पर रखा जाएगा और समाधान की दिशा में प्रयास किए जाएंगे।

 

सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता करने के लिए भागलपुर रेलवे स्टेशन पर अत्याधुनिक फेस रिकग्निशन युक्त कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे अपराधियों की पहचान आसानी से की जा सके। इसके अलावा आईपी आधारित सीसीटीवी कैमरे भी स्टेशन परिसर में लगाए जा चुके हैं। इन कैमरों की निगरानी और सुरक्षा निरीक्षण लगातार किया जा रहा है। इसके लिए रेलटेल के साथ एमओयू भी किया गया है। रेलवे परिसरों में सुरक्षा की निगरानी तीन स्तरों पर की जा रही है।

 

डीआईजी ने बताया कि चुनाव जैसे विशेष मौकों पर आरपीएफ जवानों की जिम्मेदारियां और बढ़ जाती हैं। हर साल कई जवान रिटायर हो रहे हैं, जबकि नई भर्ती प्रक्रिया में चार से पांच साल का समय लग जाता है, जिससे कार्यभार बढ़ता है। इसी कारण सुरक्षा कार्यशालाओं के माध्यम से जवानों से संवाद और काउंसलिंग की जा रही है।

 

महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर डीआईजी ने आरपीएफ इंस्पेक्टरों को सख्त निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने बैरक, मेस और रिकॉर्ड रूम की साफ-सफाई और रखरखाव का भी बारीकी से निरीक्षण किया।

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