भागलपुर जिले के पीरपैंती प्रखंड में प्रस्तावित अडानी पावर प्लांट (विद्युत ताप गृह) के निर्माण को लेकर बिहार सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि पर पेड़ कटाई का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है। जैसे ही पेड़ कटाई का कार्य शुरू हुआ, वैसे ही पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ने लगी। लोगों का कहना है कि बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई से क्षेत्र के पर्यावरण, जैव विविधता और स्थानीय जलवायु पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का मानना है कि पीरपैंती क्षेत्र पहले से ही हरियाली और प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है। ऐसे में बड़े पैमाने पर पेड़ कटने से गर्मी बढ़ने, भूजल स्तर पर असर पड़ने और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को नुकसान पहुंचने की आशंका है। कई लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि विकास कार्यों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता दी जाए।
इस पूरे मामले पर भागलपुर के जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि जहां भी किसी विकास योजना के तहत पेड़ों की कटाई आवश्यक होती है, वहां नियमों के अनुसार तीन गुना अधिक पेड़ लगाने का प्रावधान है। पीरपैंती में भी जितने पेड़ काटे जाएंगे, उससे तीन गुना अधिक पौधारोपण किया जाएगा।
डीएम ने यह भी कहा कि केवल पौधे लगाकर छोड़ नहीं दिया जाएगा, बल्कि उनके रख-रखाव का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा ताकि लगाए गए पौधे पेड़ बन सकें। इसके लिए संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए हैं और समय-समय पर निगरानी भी की जाएगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। पावर प्लांट जैसे बड़े प्रोजेक्ट से जहां एक ओर क्षेत्र में रोजगार, बिजली उत्पादन और विकास को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
फिलहाल, पेड़ कटाई को लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का दौर जारी है और अब लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन द्वारा किए गए पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण के वादे जमीन पर कितनी मजबूती से लागू होते हैं।
