खबर बिहार के सहरसा जिले से है, जहां नगर निगम क्षेत्र में चल रहे नाला निर्माण कार्य को लेकर गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। वार्ड संख्या 13 के पार्षद प्रतिनिधि चंदन सिंह ने इस मामले को लेकर नगर निगम आयुक्त को एक लिखित आवेदन सौंपते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि नगर निगम में विकास के नाम पर नियमों को ताक पर रखकर सरकारी राशि की बंदरबांट की जा रही है।
चंदन सिंह ने बताया कि हरी निवास के पास लगभग चार से पांच वर्ष पूर्व नाले का निर्माण कराया गया था, इसके बावजूद आज तक वहां जलजमाव की समस्या जस की तस बनी हुई है। उनका कहना है कि नाले की गलत ढलान और तकनीकी खामियों के कारण बारिश के समय सड़क और आसपास के इलाकों में पानी भर जाता है, जिससे आम लोगों को भारी परेशानी होती है।
पार्षद प्रतिनिधि का आरोप है कि उन्होंने नगर निगम बोर्ड की कई बैठकों में यह सुझाव दिया था कि पश्चिम से पूर्व की ओर सड़क को ऊंचा कर उचित ढलान बनाई जाए, ताकि पानी की निकासी सुचारु रूप से हो सके। लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर दोबारा उसी स्थान पर नाला निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने इसे अनावश्यक निर्माण बताते हुए सरकारी राशि की खुली लूट करार दिया है।
चंदन सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि निर्माण स्थल पर किसी प्रकार का सूचना बोर्ड नहीं लगाया गया है। न तो योजना का नाम दर्शाया गया है, न ही लागत, कार्य अवधि और जिम्मेदार अभिकर्ता की जानकारी दी गई है, जो नियमों का सीधा उल्लंघन है। इससे कार्य की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि योजना सहायक अभिसार कश्यप, जिनका संविदा विस्तार अब तक नहीं हुआ है, उनसे नगर आयुक्त द्वारा अधिकांश योजनाओं का कार्य करवाया जा रहा है। नगर निगम में वर्तमान समय में सौ से अधिक योजनाएं संचालित हैं, जिनमें से कुछ चुनिंदा अभिकर्ताओं को ही 20 से 25 योजनाओं की जिम्मेदारी दे दी गई है। शिकायत के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
वार्ड पार्षद प्रतिनिधि ने मांग की है कि नाले के लेवल, उसकी उपयोगिता, जल निकासी व्यवस्था और अन्य नालों से कनेक्टिविटी की निष्पक्ष जांच कराई जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह के भीतर इस मामले पर सुनवाई नहीं होती है, तो वह माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे।
